थप्पड़ से डर लगता है: आइसलैंड की संसद करेगी समीक्षा, बच्चों को पीटने की अनुमति देने वाला कानून बदलेगा?।
इंग्लैंड में बच्चों को अनुशासन के नाम पर पीटने, थप्पड़ मारने की कानूनी छूट खत्म करने की मांग जोर पकड़ रही है. विशेषज्ञों ने सरकार से अपील की है कि वह वाजिब सजा के नाम पर बच्चों को मारे-पीटे जाने के बचाव को पूरी तरह से खत्म करे. विशेषज्ञों के मुताबिक, शारीरिक सजा से बच्चों को कोई फायदा नहीं होता।
इंग्लैंड में एक अहम बहस जोर पकड़ रही है—क्या माता-पिता को अनुशासन के नाम पर अपने बच्चों को मारने की छूट होनी चाहिए? कुछ लोगों का मानना है कि हल्की फटकार बच्चों को सही राह पर रखने का जरिया हो सकती है।
तो वहीं विशेषज्ञ इसे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह बताते हैं. अब इस पर कानूनी बदलाव की मांग उठ रही है, जिससे ‘वाजिब सजा’ के नाम पर बच्चों को पीटने की छूट खत्म की जा सके।
अभी क्या कहता है कानून?
फिलहाल इंग्लैंड में बच्चों को मारना गैरकानूनी है, लेकिन अगर माता-पिता इसे ‘वाजिब सजा’ साबित कर देते हैं, तो उन्हें सजा से छूट मिल सकती है. यानी, अगर वे साबित कर दें कि उन्होंने अनुशासन के तहत हल्की सजा दी, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई से राहत मिल सकती है
अब, रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ ने इस छूट को पूरी तरह खत्म करने की सिफारिश की है. इसे संसद में पहले से मौजूद ‘चिल्ड्रन्स वेलबीइंग एंड स्कूल्स बिल’ में संशोधन के जरिए लागू किया जा सकता है
यूके के अन्य हिस्सों में क्या स्थिति है?
स्कॉटलैंड और वेल्स में यह छूट पहले ही खत्म हो चुकी है. स्कॉटलैंड ने नवंबर 2020 में और वेल्स ने मार्च 2022 में कानून बनाकर बच्चों को किसी भी तरह की शारीरिक सजा से पूरी तरह सुरक्षा दी. लेकिन इंग्लैंड और उत्तरी आयरलैंड में अभी भी ‘वाजिब सजा’ का प्रावधान मौजूद है।
क्यों उठ रही है पाबंदी की मांग?
शोध बताते हैं कि शारीरिक सजा से बच्चों का बर्ताव सुधरने के बजाय और बिगड़ सकता है. इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, जिससे अवसाद (डिप्रेशन), चिंता (एंग्जायटी), आक्रामकता और असामाजिक व्यवहार बढ़ सकता है।
यह बहस अगस्त 2023 में 10 वर्षीय सारा शरीफ की हत्या के बाद और तेज हो गई. सारा के पिता ने दावा किया कि उन्होंने उसे ‘कानूनी रूप से दंडित’ किया था. इस दर्दनाक घटना के बाद विशेषज्ञों ने सरकार से मांग की कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कानून को और सख्त किया जाए
सरकार का रुख क्या है?
ब्रिटेन सरकार फिलहाल किसी बदलाव की योजना में नहीं है, लेकिन वह स्कॉटलैंड और वेल्स के कानूनों का अध्ययन कर रही है. हालांकि, सरकार का कहना है कि ‘चिल्ड्रन्स वेलबीइंग एंड स्कूल्स बिल’ देश में बाल संरक्षण कानूनों को मजबूत करने वाला सबसे अहम विधेयक है
बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन भी इस बदलाव के समर्थन में हैं. उनका कहना है कि बच्चों को भी वही कानूनी सुरक्षा मिलनी चाहिए जो वयस्कों को मिलती है. अब देखना होगा कि सरकार इस मांग पर कितना गंभीर कदम उठाती है