नई दिल्ली. वर्ल्ड बैंक की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की 2018-19 की लिस्ट में भारत 77वीं रैंक पर आ गया है। भारत की रैंकिंग में 23 पायदान का सुधार हुआ है। 2017-18 की लिस्ट में भारत की 100वीं रैंक थी। भारत लगातार दूसरे साल अर्थव्यवस्था के मामले में टॉप-10 सुधारक देशों में शामिल हुआ है। वहीं, दक्षिण एशियाई देशों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत सबसे आगे है। वर्ल्ड बैंक हर साल यह रिपोर्ट जारी करता है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा- भारत की ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की रैंकिंग में और ज्यादा सुधार देखकर खुशी हुई।
सुधारों की वजह से 142 से 77वीं रैंकिंग पर आए- जेटली
वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट जारी होने के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा, ‘‘4 साल में हम 142 से 77वीं रैंकिंग पर आ गए। हमने सुधार के लिए जो कदम उठाए हैं, ये उसी का नतीजा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हमें 5 साल में 50 के भीतर रैंकिंग हासिल करनी है। अभी तक वर्ल्ड बैंक की रैंकिंग में किसी देश ने इतना इम्प्रूवमेंट हासिल नहीं किया है। 4 साल में भारत 65 पायदान ऊपर चढ़ा है। मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद लाल फीताशाही और भ्रष्टाचार को खत्म किया। कुछ और जरूरी सुधारों की आवश्यकता है, इनका असर अगली रैंकिंग में साफ नजर आएगा। ’’
रैंकिंग में सुधार की सबसे बड़ी वजह जीएसटी
वर्ल्ड बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सबसे बड़ा बदलाव जीएसटी के जरिए आया है। पिछले साल की रैंकिंग में जीएसटी को शामिल नहीं किया गया था। जीएसटी के साथ-साथ इन्सॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के जरिए भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है। जीएसटी ने कारोबार की शुरुआत करना आसान बना दिया है, क्योंकि इसमें कई सारे एप्लीकेशन फॉर्म को इंटिग्रेट कर एक सिंगल जनरल इनकॉर्पोरेशन फॉर्म लाया गया है। इससे रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया तेज हुई है। भारत में टैक्स देना न सिर्फ आसान हुआ है, बल्कि कॉर्पोरेट इनकम टैक्स की दरों में भी कमी आई है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने कस्टम के अफसरों और निजी क्षेत्र के लोगों को लगातार ट्रेनिंग देकर रिफॉर्म का एजेंडा सेट कर दिया है। भारत ने कस्टम क्लीयरेंस फेसिलिटेशन कमेटियां बनाईं हैं। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कारोबार आसान हो गया है।
इन छह मामलों में अच्छे प्रदर्शन से भारत की रैंकिंग सुधरी
2018-19 में रैंक 2017-18 में रैंक
बिजनेस की शुरुआत 137 156
कंस्ट्रक्शन परमिट 52 181
बिजली की उपलब्धता 24 29
कर्ज की उपलब्धता 22 29
सीमा पार कारोबार 80 146
कॉन्ट्रैक्ट में आसानी 163 164