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14 Mar 2025, Fri

एचएमपीवी का खतरा: टेस्टिंग की सुविधा नहीं, जानें क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके

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इंदौर।एचएमपीवी का खतरा: टेस्टिंग की सुविधा नहीं, जानें क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके। ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के मरीज कई राज्यों में सामने आ चुके हैं, लेकिन प्रदेश में कोरोना के हॉट स्पॉट बने इंदौर में इस वायरस के जांच की सुविधा नहीं है। पीरक्षण के लिए इंदौर में किसी भी शासकीय और निजी प्रयोगशाला में आवश्यक किट भी उपलब्ध नहीं है।

एचएमपीवी का खतरा: टेस्टिंग की सुविधा नहीं, जानें क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के तरीके

इसे लेकर शहर में अभी कोई सतर्कता भी नहीं बरती जा रही है। शासकीय विभाग अभी सरकार के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि वायरस को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है। यह पहले से प्रचलित है। हमें जागरूक रहकर सावधानियां बरतनी चाहिए।

सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण

यह आमतौर पर सर्दी, खांसी और बुखार जैसे हल्के श्वसन लक्षणों का कारण बनता है। यह आम सर्दी के समान है, लेकिन यह कभी-कभी निमोनिया या अस्थमा जैसी अधिक गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है।

विशेष उपचार के बिना ही ठीक हो जाते हैं ज्यादातर

अधिकांश लोग विशेष उपचार के बिना ही ठीक हो जाते हैं। बता दें कि वायरस की पुष्टि कोरोना की तरह आरटीपीसीआर से ही की जाएगी, लेकिन इसकी जांच के लिए अलग किट आती है।

निजी प्रयोगशाला ने भेजे किट के लिए आर्डर

डॉ. विनीता कोठारी ने बताया कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने प्रयोगशालाओं को किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। कोरोना की तरह वायरस की पुष्टि के लिए आरटीपीसीआर परीक्षण किए जाएंगे, लेकिन किट उपलब्ध नहीं हैं।

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हमने किट का आर्डर दे दिया है। इसके बाद इंदौर में ही परीक्षण हो जाएगा। हालांकि कुछ निजी प्रयोगशालाओं ने एचएमपीवी का परीक्षण करने का दावा किया, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वे इसके सैंपल मुंबई या दिल्ली भेज रहे हैं।

एचएमपीवी के सामान्य लक्षण

  • नाक बहना या बंद होना
  • गला खराब होना
  • सांस लेने में समस्या
  • खांसी और बुखार

बच्चों की देखभाल करें माता-पिता

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण गुप्ता ने बताया कि एचएमपीवी मुख्य रूप से कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले शिशुओं को प्रभावित करता है। इसके कोई भी लक्षण दिखने पर विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए। घबराने की बात नहीं है, लेकिन रोकथाम हमेशा इलाज से बेहतर होती है।

 

 

 

 

 

 

By Usha Pamnani

20 वर्षों से डिजिटल एवं प्रिंट मीडिया की पत्रकारिता में देश-विदेश, फ़िल्म, खेल सहित सामाजिक खबरों की एक्सपर्ट, वर्तमान में यशभारत डॉट कॉम में वरिष्ठ जिला प्रतिनिधि