संगत से गुण होत है और संगत से गुण जाए। यानी कि हमारे जीवन में आस पास के माहौल का काफी प्रभाव पड़ता है। खास करके उन युवकों पर जब कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए किसी दूसरे शहर में जाते हैं।
घर परिवार से दूर पहली बार उन्हें खुले आसमान में सास लेने का मौका मिलता है। तो, माता -पिता की छत्रछाया में दबी बहुत सारी इच्छाएं बलवती होने लगती है।
नवयुवकों के लिए यही एक उम्र का ऐसा पड़ाव होता है, जहां पर आगे के भविष्य की नींव रखी जा सकती है, अगर यहां नीव कमजोर हो गई तो पूरी जिंदगी सिवाय पश्याताप करने के जीवन में कुछ भी नहीं बचता है।
- सिर्फ पांच साल की मेहनत आगे आने वाले सभी संघर्ष को खत्म कर देती है,लेकिन अगर यह पांच साल आपने बर्बाद कर दिए तो आपके पूरे जीवन में संघर्ष कभी खत्म नहीं होगा।