कटनी।– मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल के वन विहार में ‘एशियाटिक सिंहों’ के आगमन के बाद अब पर्यटकों द्वारा सिंहों को देखने की व्यवस्था प्रारंभ होने का स्वागत किया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश में वन्य प्राणी आदान-प्रदान योजना के अंतर्गत लगभग दो महीने पहले जूनागढ़, गुजरात से लाये गये “एशियाटिक सिंह” को भोपाल के वन विहार में क्वारेन्टाइन बाड़े से पर्यटकों के अवलोकन के लिए छोड़ दिया गया है। अब यहां आने वाले स्थानीय और देशी-विदेशी पर्यटक इनकी दहाड़ सुनने के साथ इनके विचरण का अनोखा आनंद भी ले सकेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश में वन्य प्राणी पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही वन्य जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। इस दिशा में निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। एशियाई सिंह गुजरात में ही पाए जाते हैं।
वन्य प्राणियों में विशिष्ट माने गए एशियाई सिंह की वन विहार भोपाल में मौजूदगी मध्यप्रदेश में वन्य जीव पर्यटन के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण सिद्ध होगी। वन विहार, भोपाल में आए एशियाई सिंह में एक नर “जूना” एवं एक मादा “गिरी” है। इन दोनों को बाड़े में क्वारेन्टाइन रखने के बाद इनकी सतत निगरानी की जा रही थी। वर्तमान में ये दोनों एशियाई सिंह पूर्णत: स्वस्थ हैं।
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स नीति से निवेश और नवाचार का प्रारंभ होगा नया युग : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
वैश्विक स्तर पर नीति को प्रस्तुत करने जीआईएस होगा बड़ा मंच
कटनी (15 फरवरी)- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार ने “मध्यप्रदेश ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCC) पॉलिसी 2025” लॉन्च की है, जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने और राज्य को एक डिजिटल एवं तकनीकी हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया विजन को गति देने में यह नीति एक मील का पत्थर साबित होगी।
भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025, इस नीति को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का सबसे बड़ा मंच मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी समिट का 24 फरवरी को शुभारंभ करेंगे, जिससे मध्यप्रदेश का निवेश परिदृश्य और भी मजबूत होगा। दुनिया भर के निवेशकों, उद्योगपतियों और नीति-निर्माताओं के समक्ष मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस नीति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करेंगे, जिससे जीसीसी के क्षेत्र में राज्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सके। इस समिट से जीसीसी के लिये बड़ी संख्या में निवेश प्रस्तावों की उम्मीद है, जिससे राज्य का आर्थिक परिदृश्य बदल जाएगा।
जीसीसी : वैश्विक कारोबार का नया केन्द्र
ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स वे केन्द्र हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपने मुख्यालय से अलग अन्य देशों में स्थापित करती हैं। इनका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर अपने ऑपरेशंस को सुचारू रूप से चलाना और अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ उठाना होता है। इन केन्द्रों में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग, डेटा एनालिटिक्स, वित्तीय सेवाएं, अनुसंधान एवं विकास, सप्लाई चेन मैनेजमेंट और ग्राहक सहायता जैसी सेवाएं दी जाती हैं।
वर्तमान में भारत दुनिया का सबसे बड़ा जीसीसी हब बन चुका है, जहां 1600 से अधिक जीसीसी कार्यरत हैं। मध्यप्रदेश इस सेक्टर में अपनी भागीदारी को तेजी से बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह नीति विशेष रूप से आईटी, वित्त, इंजीनियरिंग और बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग जैसे क्षेत्रों में निवेश को आकर्षित करने पर केन्द्रित है और राज्य का औद्योगिक परिदृश्य पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखती है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों से मध्यप्रदेश देश के सबसे उभरते हुए निवेश केन्द्रों में शामिल हो चुका है। उनके नेतृत्व में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार, आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए निरंतर प्रयास किए गए हैं। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम लिमिटेड (MPSeDC) को इस नीति के कार्यान्वयन की नोडल एजेंसी बनाया है, जो कंपनियों को हर संभव सहायता प्रदान करेगी।
राज्य में जीसीसी को तेजी से स्थापित करने के लिए एक विशेष नीति क्रियान्वयन इकाई (Policy Implementation Unit – PIU) बनाई जा रही है, जो प्रोत्साहनों के आवंटन, परियोजनाओं की स्वीकृति और अनुपालन निगरानी का कार्य करेगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निवेशकों को समय पर सभी सुविधाएं मिलें और वे राज्य में अपने प्रोजेक्ट्स को शीघ्र शुरू कर सकें।
मध्यप्रदेश : निवेशकों के लिए पसंदीदा स्थल
मध्यप्रदेश में जीसीसी के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है। पिछले तीन वर्षों में राज्य के आईटी/आईटीईएस निर्यात में तीन गुना वृद्धि हुई है और वार्षिक वृद्धि दर 43 प्रतिशत है। इंदौर, भोपाल और जबलपुर जैसे शहर तेजी से आईटी और ईएसडीएम हब के रूप में विकसित हो रहे हैं। राज्य में 300 से अधिक इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां से हर साल 50 हजार से अधिक टेक्नोलॉजी ग्रेजुएट निकलते हैं। निवेशकों के लिए किफायती बिजनेस ऑपरेशन, अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी पार्क, विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZs) और सरल नियामकीय प्रक्रियाएं इस नीति को और अधिक प्रभावी बना रही हैं। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है, जो यह साबित करता है कि राज्य में निवेशकों के लिए एक अनुकूल माहौल मौजूद है।
जीसीसी नीति-2025 : आर्थिक क्रांति की आधारशिला
मध्यप्रदेश की जीसीसी नीति-2025 एक परिवर्तनकारी पहल है, जो भारत को 2030 तक 110 बिलियन डॉलर के जीसीसी बाजार के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इनोवेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रोत्साहनों पर केंद्रित यह नीति राज्य को वैश्विक कंपनियों के लिए एक प्रमुख डेस्टिनेशन बनाएगी, जहां वे अपने जीसीसी ऑपरेशंस को स्थापित और विस्तारित कर सकेंगी।
आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 इस पहल को अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के सामने प्रस्तुत करने का सबसे बड़ा मंच होगी, जहां से मध्यप्रदेश को ऐतिहासिक निवेश प्रस्तावों की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाएगी। इस नीति के क्रियान्वयन से मध्यप्रदेश नवाचार, टेक्नोलॉजी और रोजगार सृजन के नए युग में प्रवेश करेगा, जिससे राज्य के युवाओं को वैश्विक स्तर पर रोजगार के अवसर मिलेंगे और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
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मुख्यमंत्री डॉ. यादव से भेंट कर “श्री टेक डेटा लिमिटेड” के सीईओ ने प्रदेश में 9100 करोड़ रूपये के निवेश का दिया प्रस्ताव
डेटा सेंटर, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और ट्रांसमिशन सेक्टर में करेंगे निवेश
कटनी (15 फरवरी)- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से शुक्रवार को “श्री टेक डेटा लिमिटेड कंपनी” के सीईओ श्री विजय आनंद ने भेंट की। उन्होंने प्रदेश में डेटा सेंटर, ग्रीन हाइड्रोजन, सौर ऊर्जा और ट्रांसमिशन सेक्टर में निवेश की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत कर 9100 करोड़ रूपये के निवेश का प्रस्ताव दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव से प्रदेश में उन्नत बुनियादी ढांचे और तकनीकी विस्तार पर चर्चा हुई। श्री टेक डेटा लिमिटेड ने इंदौर में 4 हजार करोड़ रूपये की लागत से डेटा सेंटर स्थापित करने, बीना (सागर) में 3 हजार करोड़ रूपये की लागत से ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट विकसित करने, उज्जैन में 600 करोड़ रूपये के निवेश से सोलर पॉवर यूनिट स्थापित करने और उज्जैन में ही बिजली ट्रांसमिशन एवं वितरण अवसंरचना के लिए 1500 करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव दिये। बैठक में जिला उद्योग केंद्र भोपाल के जीएम श्री कैलाश मानेकर भी उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश निवेशकों के लिए देश के सबसे अनुकूल स्थलों में से एक बन चुका है। मजबूत बुनियादी ढांचे, सुलभ नीतियों और अनुकूल औद्योगिक वातावरण होने से वैश्विक कंपनियाँ प्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित हो रही हैं। श्री टेक डेटा लिमिटेड के सीईओ श्री आनंद ने कहा कि यह निवेश प्रदेश में डिजिटल और हरित ऊर्जा क्रांति को गति देगा, जिससे अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का विकास होगा और हजारों नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने परियोजनाओं के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार से नीति समर्थन, भूमि आवंटन और अन्य आवश्यक सहयोग का अनुरोध किया।
श्री टेक डेटा लिमिटेड का यह निवेश मध्यप्रदेश के औद्योगिक और आर्थिक विकास को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे न केवल तकनीकी और ऊर्जा क्षेत्रों में प्रदेश अग्रणी राज्य बनेगा बल्कि स्थानीय युवाओं और स्टार्ट-अप्स को भी नए अवसर प्राप्त होंगे।