Myanmar-Thailand Earthquake: 7.9 की स्केल से म्यांमार-थाइलैंड में भूकंप का कहर, सागइंग फॉल्ट लाइन की खतरनाक गतिविधि के पीछे की कहानी
Myanmar-Thailand Earthquake: 7.9 की स्केल से म्यांमार-थाइलैंड में भूकंप का कहर, सागइंग फॉल्ट लाइन की खतरनाक गतिविधि के पीछे की कहानी

Myanmar-Thailand Earthquake: 7.9 की स्केल से म्यांमार-थाइलैंड में भूकंप का कहर, सागइंग फॉल्ट लाइन की खतरनाक गतिविधि के पीछे की कहानी। म्यांमार और थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक भूकंप के झटकों से हिल गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, 28 मार्च को म्यांमार में 7.9 और 6.4 तीव्रता के दो भूकंप आए, जिसका केंद्र शहर से सिर्फ 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में सागाइंग के पास स्थित था. भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर दर्ज की गई और इसके झटके थाईलैंड के बैंकॉक तक महसूस किए गए, जिससे लोग घबराकर सड़कों पर निकल आए।
Myanmar-Thailand Earthquake: 7.9 की स्केल से म्यांमार-थाइलैंड में भूकंप का कहर, सागइंग फॉल्ट लाइन की खतरनाक गतिविधि के पीछे की कहानी
भूकंप का केंद्र म्यांमार को बताया गया है. भूकंप से कितना नुकसान हुआ, इसकी जानकारी सामने नहीं आ पाई है, लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे फोटो और वीडियो इसकी भयावहता को दिखा रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि म्यांमार में भूकंप का कारण क्या है?
क्या है भूकंप की वजह?
म्यांमार में आए भूकंप की वजह क्या है, इसकी वजह जानने के लिए पहले यह समझना होगा कि भूकंप आता क्यों है. धरती टेक्टोनिक प्लेट पर टिकी हुई है. ये प्लेटें धीमी गति से हिलती हैं, लेकिन जब ये आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं तो इसमें से निकलने वाली एनर्जी से भूकंपीय तरंगें पैदा होती हैं. यही तरंगें भूकंप की वजह बनती हैं.
म्यांमार में भूकंप का केंद्र सागाइंग था. भूकंप के लिहाज से यह जगह काफी संवेदनशील है. यह ऐसी जगह पर है जहां भारत और बर्मा की टेक्टोनिक प्लेट की बाउंड्री है. फॉल्ट लाइन करीब 1200 किलोमीटर लम्बी है. यही वजह है कि म्यांमार में भूकंप आने का लम्बा इतिहास रहा है. सागाइंग में टेक्टोनिक प्लेट का मूवमेंट होता रहता है, लेकिन इस बार आए भूकंप की तीव्रता अधिक रही है. इमारतों के ढहने से लेकर ब्रिज गिरने तक के वीडियो सामने आए हैं.
खतरनाक लोकेशन पर भूकंप का कैसा है इतिहास?
भूकंप को लेकर कितना नुकसान हुआ है, इसको लेकर पूरी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है, लेकिन विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि नुकसान ज्यादा होगा क्योंकि जो जगह भूकंप का केंद्र है वो फॉल्ट लाइन पर है. इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो पाएंगे यहां 7.9 तीव्रता का भूकंप पहले भी आ चुका है. साल 1946 में यह भूकंप आया. इसके बाद 2012 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया.
कितना खिसकती है भूकंप लाने वाली प्लेट?
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के जरिए यह पता लगाने की कोशिश भी की है कि धरती के नीचे मौजूद भूकंप लाने वाली टेक्टोनिक प्लेट कितना खिसकती है. स्टडी में सामने आया कि प्लेटों में हर साल मूवमेंट होता है. ये एक साल में 11 एमएम से 18 एमएम तक खिसकती हैं.
खतरा कितना बढ़ेगा यह पुख्तातौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता. ऐसा इसलिए क्योंकि समय के साथ प्लेटों का तनाव बढ़ता जाता है. जब यह तनाव अचानक से रिलीज होता है तो भूकंप आता है.विशेषज्ञों का कहना है, हर साल 18 एमएम तक होने वाला बदलाव बड़ा मूवमेंट लाता है. इसका मतलब है कि काफी एनर्जी स्टोर है, एनर्जी भूकंपीय तरंगों के रूप में रिलीज हो सकती है और बड़ा भूकंप आता है. ऐसा ही म्यांमार में हुआ।
Myanmar-Thailand Earthquake: 7.9 की स्केल से म्यांमार-थाइलैंड में भूकंप का कहर, सागइंग फॉल्ट लाइन की खतरनाक गतिविधि के पीछे की कहानी