कटनी। समाधिस्थ परम पूज्य 108 संत शिरोमणी आचार्य विद्यासागर महाराज के समाधी दिवस के अवसर पर परम पूज्य108 मुनि पुगव सुधा सागर महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुये कहा कि आचार्य विघासागर समाज के नाथ थे। उनके जाने पर समाज जन अनाथ हो गये लोगों ने शास्त्र पढऩा बंद कर दिया था क्योंकि उनकी वाणी जिनवाणी बन चुकी थी और उनके दर्शन पाकर लोग अपने को धन्य महसूस करते थे। मुनिश्री ने आगे कहा कि उनकी मुद्रा को देखकर आनंद की अनुभूति होती थी, वे किसी की नहीं सुनते थे लेकिन लोग उनकी वाणी सुनने के लिये उत्सुक रहते थे। मुनि श्री ने आगे बतलाया कि लोग रोटी के पीछे भागते है, रोटी उनके पीछे भागती थी। इसलिए उनके सातिशय पुण्य के कारण जहां उनके चर्तुमास होते थ,े वहां उनके 200-200 चौके लगते थे। इस अवसर पर आचार्य विघासागर के चित्र का अनावरण ब्रम्हचारी भैया जी द्वारा किया गया। आज सुबह दिगम्बर जैन बोर्डिग हाउस परिसर में बड़ी संख्या में श्रद्धा एवं भक्ति भाव के साथ समाधि दिवस के अवसर पर समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी एवं सदस्यों द्वारा आचार्य विघासागर के पूजन के आद्र्य चढ़ाये गये। कार्यक्रम का संचालन बाल ब्रम्हचारी प्रदीप भैया एवं दीपू जैन द्वारा किया गया।
संत शिरोमणि आचार्य विघासागर के समाधि दिवस पर सुधा सागर महराज ने किया धर्म सभा को संबोधित, जैन बोर्डिग हाउस में लगी धर्मसभा
