Sri Mahakal Mahalok : आरोप लगाने वाली कांग्रेस ही निशाने पर आ गई है। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर स्थित श्री महाकाल महालोक में सप्तऋषि की 6 मूर्तियां गिरकर खंडित होने के मामले ने फिर नया मोड़ ले लिया है। अभी तक शिवराज सरकार पर श्री महाकाल महालोक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही कांग्रेस अब घिर रही है। लोकायुक्त ने इस मामले का संज्ञान लिया है जिसमें जांच तत्कालीन कमल नाथ सरकार के समय योजना मंजूर होने और कार्यादेश जारी होने से शुरू की जाएगी। एक कांग्रेस विधायक ने जब लोकायुक्त से भ्रष्टाचार की शिकायत की थी तब कुछ अधिकारियों को नोटिस थमाया गया था। बाद में यह मामला दब गया था। अब लोकायुक्त संगठन ने नई शिकायत दर्ज की है।
लोकायुक्त की तीन सदस्यीय तकनीकी टीम तीन जून को जांच के लिए उज्जैन जाएगी। तत्कालीन कमल नाथ सरकार के समय योजना की मंजूरी और बजट आवंटन संबंधी पत्रावलियों का अवलोकन करेगी।
लोकायुक्त की टीम यहां पर निर्माण कार्यों से जुड़े दस्तावेज भी लेगी। इसमें तकनीकी निविदा और वित्तीय निविदा से जुड़े कागजात भी लिए जाएंगे। बता दें कि मूर्तियां गिरने के बाद इस मामले में राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस की पांच सदस्यीय टीम ने बुधवार को यहां का दौरा किया था। इस टीम ने निर्माण कार्यों में गड़बड़ी का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि महाकाल लोक के निर्माण के लिए तत्कालीन कमल नाथ सरकार ने 300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे और कार्यादेश सात मार्च 2019 को जारी किया था।
भाजपा प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस जबरिया राजनीति कर महाकाल लोक के मामले में प्रदेश को बदनाम कर रही है। लोकायुक्त को तत्कालीन नगरीय विकास मंत्री के कार्यादेश की गहराई से छानबीन करनी चाहिए।
जांच इस पर
महाकाल लोक में मूर्तियां एफआरपी (फाइबर रीइन्फोर्स प्लास्टिक) की लगेंगी, यह निर्णय किस स्तर पर लिया गया था?
क्या संबंधित सप्लायर ने मूर्तियां प्रस्तावित मानक के अनुसार ही बनाई ?
जहां पर मूर्तियां स्थापित की गई थीं, क्या वहां का आधार कमजोर था ?
मूर्तियों की स्थापना में किसी तरह का भ्रष्टाचार तो नहीं हुआ है?