
Shani: 19 साल तक चलने वाली शनि महादशा, जीवन में उत्पन्न हो सकती हैं कई कठिनाइयां, ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को कर्म फलदाता और न्याय का देवता कहा गया है. शनि देव आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, लोहा, खनिज, तेल आदि के कारक माने जाते हैं. ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को सबसे क्रूर ग्रह माना गया है. शनि देव के पास मकर और कुंभ राशि का स्वामित्व है. शनि की उच्च राशि तुला मानी जाती है, जबकि नीच राशि मेष मानी जाती है.
माना जाता है कि अगर शनि देव प्रसन्न हैं तो रंक को राजा बना देते हैं. शनि की साढ़ेसाती और ढैया का प्रभाव भी समय समय पर व्यक्तियों के जीवन में देखने को मिलता है. साढ़ेसाती और ढैय्या में व्यक्ति परेशानियों से घिरा रहता है. साढ़ेसाती के अलग-अलग चरणों में शनि देव का प्रभाव भिन्न-भिन्न रहता है, लेकिन साढ़ेसाती और ढैय्या के अलावा शनि की महादशा व्यक्ति पर 19 साल चलती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि शनि की महादशा व्यक्ति के जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती है.
कुंडली में शनि नकारात्मक हो, तो महादशा में होती हैं ये परेशानियां
महादशा में कर्म फलदाता और न्याय के देवता व्यक्ति को कैसा फल प्रदान करेंगे, ये इस बात पर निर्भर है कि व्यक्ति की कुंडली में शनि देव कैसे हैं. अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि देव नकारात्मक यानी नीच के होकर विराजमान हैं, तो व्यक्ति शनि की महादशा के दौरान मानसिक परेशानियां झेलता है. व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं आती हैं. व्यक्ति पर झूठे आरोप लग सकते हैं. व्यक्ति को जेल जाना पड़ सकता है.
वहीं, अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि देव सूर्य के साथ विराजमान हैं तो उसे धन की हानि होती है. मान सम्मान की हानि होती है. वही अगर व्यक्ति की कुंडली में शनि देव मंगल ग्रह के साथ विराजमान हैं, तो व्यक्ति की सेहत खराब रहा करती है. दुर्घटनाओं के योग बनते रहते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि शनि का सूर्य और मंगल के साथ शत्रुता का संबंध है.
कुंडली में शनि शुभ हो, तो महादशा में होते हैं लाभ
शनि देव व्यक्ति के जन्म कुंडली में शुभ या उच्च के होते हैं, तो शनि की महादशा में व्यक्ति को धन लाभ होता है. संपत्ति प्राप्त होती है. व्यापार अच्छा रहता है. व्यक्ति को किस्मत का साथ मिलता है.