Parliament Session News Update : 3 आपराधिक कानून संशोधन विधेयक लोकसभा से पारित; दो अन्य विधेयक भी पास हुए । संसद की सुरक्षा में चूक मामले पर विपक्ष आक्रमक हो गया है। 13 दिसंबर की घटना को लेकर चर्चा की मांग को लेकर विपक्षी सांसद अड़े हुए हैं। इसी बीच, सदन की कार्यवाही में व्यवधान डालने के आरोप में विपक्षी सांसदों को संसद के शेष शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया है। जिसके बाद से ही विपक्षी सांसद आक्रमक हो गए हैं। सत्ता और विपक्ष के बीच तू-तू मैं-मैं के बीच शुक्रवार को शुरू हुई निलंबित करने की कार्रवाई मंगलवार को भी जारी रही। अब तक 141 विपक्षी सांसदों को संसद के शेष शीतकालीन सत्र से निलंबित कर दिया है। इसी बीच, लोकसभा सचिवालय ने निलंबित सांसदों को लेकर एक सर्कुलर जारी किया है। संसद परिसर में निलंबित सांसदों के हंगामे के बीच लोकसभा सचिवालय ने एक सर्कुलर जारी किया।
लोकसभा में दूरसंचार विधेयक, 2023 को पारित कर दिया गया। इससे पहले इस विधेयक पर दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बहस का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में डिजिटल भारत निधि यूएसओएफ (यूनिवर्सल सर्विसेज ऑब्लिगेशन फंड) को बदलने के संबंध में प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय वस्तु और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 जो जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष की ऊपरी आयु सीमा को मौजूदा 65 वर्ष से बढ़ाकर 67 वर्ष करता है और 10 वर्ष के अनुभव वाले अधिवक्ताओं को सदस्य बनने के लिए पात्र होने की अनुमति देता है, बुधवार को राज्यसभा से पारित हो गया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पर चर्चा का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है। अमित शाह ने कहा कि CrPC में पहले 484 धाराएं थीं, अब इसमें 531 धाराएं होंगी। 177 धाराओं में बदलाव किए गए हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई हैं। 44 नए प्रावधान जोड़े गए हैं। इन विधेयकों पर चर्चा और बहस के बाद तीनों विधेयकों को धवनिमत से पारित कर दिया गया। गौरतलब है कि विपक्ष लगातार इन विधेयकों की आलोचना कर रहा था।
आपराधिक कानून संशोधन से जुड़े तीन अहम विधेयकों पर बुधवार को लोकसभा में बहस की गई। ये तीनों बिल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इस विधेयक में ट्रायल कोर्ट को अधिकतम तीन सालों में अनिवार्य रूप से निर्णय देने का प्रावधान किया गया है। हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इन विधेयकों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक विधेयक लोगों की नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए खतरा हैं क्योंकि वे पुलिस को किसी के भी खिलाफ कार्रवाई करने की व्यापक शक्तियां देते हैं।