No cost EMI। त्योहारी सीजन में ऑनलाइन शॉपिंग में बढ़ोतरी होने की संभावना है और फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसी कंपनियां फेस्टिवल सीजन में सेल और डिस्काउंट शुरू करेगी। इस दौरान कंपनियां अपने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए कई तरीके अपनाती है। इसमें एक है No cost EMI, जिसमें मूल राशि की ही किश्तें देना होती है। उपभोक्ता को ईएमआई में ब्याज की राशि नहीं जोड़ी जाती है। वैसे ग्राहकों को लिए No cost EMI कोई बुरा विकल्प नहीं है। ग्राहक को कोई भी सामान खरीदने पर पूरी कीमत भी नहीं चुकाना पड़ती है और किश्तों पर बगैर ब्याज के एडवांस में सामान भी उपलब्ध हो जाता है। लेकिन कई बार लोग सोचते हैं कि आखिर बगैर ब्याज के No cost EMI योजना काम कैसे करती है। इसमें बैंक या कंपनी को आखिर क्या फायदा होता है। आइए जानते हैं No cost EMI के बारे में और क्या सच में बैंक आपसे ब्याज नहीं वसूलते हैं।
No Cost EMI योजना पर रिजर्व बैंक का 17 सितंबर 2013 का सर्कुलर बताता है कि ‘कोई भी लोन ब्याज मुक्त नहीं है। क्रेडिट कार्ड आउटस्टैंडिंग्स पर जीरो पर्सेंट EMI स्कीम में ब्याज की रकम की वसूली अक्सर प्रोसेसिंग फीस के रूप में कर ली जाती है। जैसे कुछ बैंक लोन का ब्याज प्रॉडक्ट से वसूल रहे हैं। कुल मिलाकर सीधा फंडा यह है कि फ्री में तो कुछ भी नहीं मिलता है। No Cost EMI दिखने में तो बगैर ब्याज की योजना लगती है, लेकिन इसके पैसे भी ग्राहक से ही वसूले जाते हैं।