Mummi ka din: हर मां है परफेक्ट मम्मी, बच्चे को पैदा करने से लेकर पालने तक वो कई वो त्याग देती है जिसको शायद समाज त्याग मानता ही नहीं। इस मदर्स डे, हर उस मां के बारे में बात करेंगे, जो समाज के दायरों को पार कर परफेक्ट मदर की अपनी परिभाषा लिख रही है. वो कई उन चुनौतियों का सामना कर रही है जिसको कई लोग चुनौती मानते ही नहीं है, चाहे वो जॉब छोड़ देना हो या फिर करते रहना हो. या फिर सिंग्ल मदर होने पर अकेले बच्चों की परवरिश करना हो.
हम अकसर सबसे प्यारी सबसे न्यारी मां लाइनें लिखते आए हैं. हमेशा सबने मां को परफेक्ट ही समझा, जो कभी कोई गलती न करें हर चीज बिल्कुल सही हिसाब से करे, किसी चीज में पीछे न रहे और किसी को कुछ आता हो या नहीं लेकिन मां को तो हर चीज बिल्कुल सही आती होगी.
लेकिन परफेक्ट मां जैसा कुछ नहीं होता. हर चुनौती, हर मुश्किल, हर पड़ाव पार कर जाने वाली हर मां अपने आप में परफेक्ट होती है. कई चुनौतियों का सामना कर हर मां अब परफेक्ट मदर का नया इतिहास लिख रही है. चाहे वो जॉब छोड़ देने वाली मां हो , चाहे वो दिन-रात एक कर के बच्चों के लिए जॉब करने वाली मां हो.
खुद लिख रही परफेक्ट मां की परिभाषा
अकसर सुना है हम ने एक महिला जब मां बनती है उससे उम्मीद की जाती है कि वो परफेक्ट मां बने उससे कोई गलती न हो लेकिन परफेक्ट मां नहीं, मां सिर्फ मां होती है. लेकिन अब हर मां परफेक्ट मदर की खुद एक परिभाषा लिख रही है. मां होना आसान नहीं होता, एक महिला जब मां बनती है वो बहुत सी चुनौतियों का सामना करती है बच्चे को पैदा करने से लेकर पालने तक वो कई वो त्याग देती है जिसको शायद समाज त्याग मानता ही नहीं.
कई महिलाएं अपनी हेल्थ की फिक्र किए बिना कंसीव (Conceive) करती है, कई महिलाएं मां बनने के बाद अपनी जॉब छोड़ देती है. कुछ महिलाएं मां बनने के बाद भी काम करती है तो बच्चों से दूर रहना उनको समय न दें पाने का दुख उन्हें सताता है. दूसरी तरफ सिंग्ल मदर बनना भी आसान नहीं है. चलिए बात करते हैं उन पांच चुनौतियों के बारे में जिसका एक मां बच्चे पैदा करने से लेकर उसको पालने तक सामना करती है.
बच्चे के जन्म के दौरान मां की मौत
जहां देश और दुनिया में इतनी तरक्की हो गई है, विज्ञान मेडिकल अपने शिखर पर पहुंच गया है, वहीं अभी भी बच्चों के जन्म के दौरान महिलाओं की मौत हो जाती है. भारत में 1990 में प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 556 महिलाओं की बच्चे के जन्म के दौरान मृत्यु हुई थी.
गर्भावस्था और बच्चे के जन्म से संबंधित मुश्किलों के चलते हर साल लगभग 1.38 लाख महिलाएं साल 1990 में मर जाती थीं. संयुक्त राष्ट्र की 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर 4.5 मिलियन मौतों में से भारत में साल 2020 में लगभग 8 लाख महिलाओं की बच्चों को जन्म देने के दौरान, मृत जन्म और नवजात शिशु की मौत देखी गई.
दुनिया में कितनी महिलाओं की हुई मौत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-2021 में कुल मिलाकर 4.5 मिलियन मौतें हुईं – जिसमें जन्म देने के दौरान (0.29 मिलियन), मृत जन्म (1.9 मिलियन) और नवजात शिशु की मृत्यु (2.3 मिलियन) हुई.