भोपाल । प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के लिए सरकारी पैसे से 75 हजार स्मार्ट फोन की खरीदी की पूरी तैयारी कर ली गई है। खास बात यह है कि इस खरीदी में सरकार को सात करोड़ रुपए का चूना लगना तय माना जा रहा है। यही वजह है कि यह खरीदी अभी से विवादों में आ गई है। इन मोबाइल फोन की खरीदी मप्र लघु उद्योग निगम के माध्यम से की जा रही है। आरोप है कि लघु उद्योग निगम के अधिकारियों ने सांठगांठ करके अपगे्रड वर्जन की जगह पुराना वर्जन का मोबाइल महंगे दाम में खरीदने का ऑर्डर जारी कर दिया है।
दरअसल महिला एवं बाल विकास विभाग बीते एक साल से 75 हजार एन्ड्राइड मोबाइल की खरीदी की तैयारी कर रहा था। तमाम प्रयासों के बाद यह काम लघु उद्योग निगम को सौंपा गया। लघु उद्योग निगम ने ई-टेंडर जारी करने की प्रक्रिया में ही चार माह से अधिक का समय लगा दिया। इसी बीच सरकार में बदलाव के दौर का फायदा उठाते हुए पूर्व से प्रतिबंधित कंपनी एनएस इन्फ्रा, नई दिल्ली को 22 मार्च को एलजी मोबाइल का टेण्डर 7,950 रुपए में फाइनल कर दिया गया, जबकि बाजार में उससे अच्छी गुणवत्ता वाले मोबाइल कम कीमत पर मिल रहे हैं।
ऑनलाइन 6,999 में मिल रहा मोबाइल
सूत्रों की माने तो महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा मप्र लघु उद्योग निगम को मोबाइल खरीदने के लिए अधिकृत किए जाने के बाद 2-3 बार टेण्डर निकालने और उन्हें पिरस्त करने का काम किया गया। इसकी वजह रही हर बार टेण्डर में कुछ न कुछ खामी का रह जाना। जिसके चलते कई माह का समय निकल गया। अंतिम बार जो टेण्डर निकाला उसको ऐसे समय फाइनल किया जिस समय कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई और नई सरकार की कवायद की जा रही थी। इस मौकके का फायदा उठाते हुए मोबाइल खरीदी का ऑर्डर उस कंपनी को दिया गया है जिसका इस समय मार्केट में कोई प्रभाव ही नहीं है, न सर्विस सेंटर है। खास बात यह है कि ऑनलाइन एलजी कंपनी का ही उससे ज्यादा अपग्रेट 32 जीबी का मोबाइल 6,999 में खुदरा मिल रहा है, जबकि जिस मोबाइल को 75 हजार की संख्या में खरीदने का ऑर्डर दिया गया है वह ओल्ड वर्जन है और उसकी कीमत 7,950 रुपए तय की गई है। इस तरह 52,49,25,000 रुपए के मोबाइल के लिए सरकार के खजाने से 59,62,50,000 रुपए खर्च होंगे। यानि 7,13,25,000 रुपए अधिक चुकाने होंगे। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस मामले में किस स्तर का भ्रष्टाचार हुआ है।
जांच की मांग
लघु उद्योग निगम ने जिस तरह से इसको जल्दीबाजी में फाइनल किया, उससे इस बात की आशंका बढ़ गई कि निगम के कुछ अधिकारियों ने अपनी मनमर्जी से समय का फायदा उठाते हुए ऐसे समय टेण्डर फाइनल किया जब उच्च अधिकारी नई सरकार के गठन में व्यस्त रहें। इस पूरे घटनाक्रम में लघु उद्योग निगम की भूमिका ठीक नहीं लग रही है, एक विशेष कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए अनुचित रूप से यह कार्य किया गया है। अब चूंकि नई सरकार का गठन हो गया है। अत: लगभग 60 करोड़ की मोबाइल फोन की इस खरीदी के पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और नए सिरे से टेण्डर बुलाए जाने चाहिए।
इनका कहना है
इस मामले को लेकर कुछ लोग कोर्ट भी गए थे। कोर्ट ने लघु उद्योग निगम को निर्देश दिया था कि आपत्तियों की सुनवाई करके खरीदी आदेश जारी करे। निगम ने सुनवाई के बाद ही खरीदी का आदेश दिया होगा।
अनुपम राजन, प्रमुख सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग