Lal Krishna Advani Bharat Ratna: कराची में जन्म, टॅाफी, फिल्मों और क्रिकेट के शौकीन; LK Advani के बारे में जानिए सबकुछ
Lal Krishna Advani Bharat Ratna: कराची में जन्म, टॅाफी, फिल्मों और क्रिकेट के शौकीन; LK Advani के बारे में जानिए सबकुछ

Lal Krishna Advani Bharat Ratna: कराची में जन्म, टॅाफी, फिल्मों और क्रिकेट के शौकीन हैं। बीजेपी (BJP) के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी (LK Advani) को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा. पीएम मोदी ने खुशी जताते हुए खुद ट्वीट करके ये बड़ी जानकारी मीडिया से साझा की है।
लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 96 साल के
पूर्व उप-प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishna Advani) 96 साल के हो गए हैं. आडवाणी भारतीय जनता पार्टी (पूर्व में जनसंघ) के संस्थापक सदस्य हैं. आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची (अविभाज्य भारत) में हुआ था. लाल कृष्ण आडवाणी गुजरात के गांधीनगर लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद रह चुके हैं. ये ऐसे नेता रहे जिन्होंने पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में अपनी बड़ी भूमिका निभाई. आइए इनको लेकर यहां जानते हैं कुछ दिलचस्प बातें.
हिंदुत्व की राजनीति का पहला पोस्टर ब्वॉय
हिंदुत्व की राजनीति के पहले ‘पोस्टर ब्वॉय’ लालकृष्ण आडवाणी ने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ राजनीति के नए राजनीति मंच बीजेपी (BJP) की स्थापना की थी. उन्होंने अपने सियासी सफर में कई यात्राएं निकालीं. बीजेपी की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा, स्वर्ण जयंती रथ यात्रा और भारत उदय यात्रा निकालीं. इन यात्राओं ने पार्टी को देश के घर-घर में पहुंचाया वहीं खुद आडवाणी की छवि को राजनीतिक मजबूती प्रदान की.
पारिवारिक जीवन
उनके पिता केडी आडवाणी और मां ज्ञानी आडवाणी थीं. लाल कृष्ण आडवाणी की शादी 25 फरवरी 1965 में कमला आडवाणी से हुई थी. विभाजन के दौरान कमला का परिवार भी पाकिस्तान से भारत आया था. उनके दो बच्चे बेटा जयंत और बेटी प्रतिभा है. कराची में अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद आडवाणी ने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक की पढ़ाई पूरी की. 1947 में आरएसएस का सेक्रेटरी बनने के साथ ही उनका पॉलिटिकल करियर शुरू हुआ.
प्रतिभा आडवाणी – प्रतिभा आडवाणी टॉक शो होस्ट और प्रोड्यूसर हैं. वो एक मीडिया कंपनी चलाती हैं. दूरदर्शन के लिए प्रतिभा दो शो, यादें और टेक केयर, प्रोड्यूस कर चुकी हैं. वो कई टॉक शो होस्ट भी कर चुकी हैं.
जयंत आडवाणी – लालकृष्ण आडवाणी के पुत्र जयंत मीडिया से दूरी बना कर रखते हैं. हालांकि 1990 के दशक में उन्होंने अपने पिता के लिए काफी चुनाव प्रचार किया था.
राजनीतिक शुचिता की मिसाल – बेटे को सक्रिय राजनीति में क्यों नहीं लाना चाहते थे?
साल 1989 में लोकसभा चुनाव होने थे. लालकृष्ण आडवाणी पार्टी की शुरुआत से ही भाई-भतीजावाद को विरोध कर रहे थे. ऐसे में आडवाणी ये नहीं चाहते थे कि उनके बेटे गांधीनगर से चुनाव लड़ें. जबकि वो इस बात को पूरी तरह जानते थे कि यदि जयंत वहां से चुनाव लड़ेंगे तो वो आसानी से जीत जाएंगे. विश्वंभर श्रीवास्तव की किताब ‘आडवाणी के साथ 32 साल’ में एक वाकये का जिक्र किया गया है. इस किताब के मुताबिक आडवाणी ने अपने पुराने दोस्त और अहमदाबाद के पूर्व सांसद हरिन पाठक से कहा, ‘जयंत गांधीनगर से आसानी से जीत सकते हैं, लेकिन मैं उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दूंगा.’
तब आडवाणी के एक करीबी मित्र ने उन्हें सलाह दी कि वो नई दिल्ली की सीट को अपने पास रखें और अपने बेटे जयंत को गांधीनगर से लड़ने दें. इसके बाद 1989 में आडवाणी दो सीटों दिल्ली और गांधीनगर से चुनाव लड़ा. दोनों ही सीटों पर उन्हें जीत हासिल हुई. बाद में दिल्ली की सीट से इस्तीफा देकर उन्होंने गांधीनगर सीट को अपने पास रखने का फैसला किया. बाद में जब नई दिल्ली सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना जीते. राजनीति में भाई-भतीजावाद का विरोध करने वाले लालकृष्ण आडवाणी ने अपने बेटे जयंत की राजनीतिक पारी पर ब्रेक लगाने पर भी नहीं हिचके.
लाल कृष्ण आडवाणी की हॉबी
शतायु होने के करीब पहुंचे लाल कृष्ण आडवाणी को चॉकलेट के शौकीन रहे हैं. समसामयिक घटनाक्रम पर गहरी पकड़ रखने वाले आडवाणी की फिल्मों में गहरी दिलचस्पी रही है और क्रिकेट उनका पसंदीदा खेल रहा है. जब कभी भी समय मिलता है तो लाल कृष्ण आडवाणी किताबें, थिएटर, सिनेमा, खेल और संगीत से जुड़ी चीजों में अपना समय देते हैं
बीजेपी के सबसे लंबे समय तक के राष्ट्रीय अध्यक्ष
आडवाणी ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) शासन के दौरान सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में काम किया. बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक आडवाणी ने सार्वजनिक जीवन में दशकों लंबी सेवा को पारदर्शिता के साथ पूरा किया. पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण ऐसा रहा कि वो आज भी पार्टी के सामान्य कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा के स्त्रोत है. खुद पीएम मोदी ने राजनीति का ककहरा उनसे सीखा था. पूर्व डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी 1986-1990, 1993-1998 और 2004-2005 के दौरान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. 1980 के बाद ये पार्टी के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहने वाले नेता रहे
उनकी समाज सेवा और राष्ट्र सर्वप्रथम की भावना से प्रेरित होकर सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ देने का फैसला किया है