Katni Murwara vidhan sabha जो लोग राजनीति में इंटरेस्ट रखते हैं आज हम उनकी जानकारी के लिए अहम खबर लाये हैं। कटनी मुड़वारा सीट यह सीट यूं तो कांग्रेस का गढ़ रही लेकिन बीते 5 चुनावों में बीजेपी ने कांग्रेस की इस परम्परागत सीट को उससे छीन लिया इस दौरान सिर्फ एक बार ही कांग्रेस साख बचा पाई। आइये जानते है शहर की इस अहम सीट की कुछ अहम जानकारी।
1993 के बाद कब कौन बना विधायक
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 2003 से मुड़वारा विधानसभा सीट पर कब्जा कर रखा है. पिछले चार चुनावों में भाजपा ने लगातार सीट जीती है. 2018 में भाजपा के संदीप जायसवाल 16,080 वोटों से विजयी हुए, उन्होंने कांग्रेस के मिथलेश जैन को हराया था. वहीं, इससे पहले 2013 के चुनाव में भाजपा के संदीप जयसवाल ने 63% प्रभावशाली वोट शेयर के साथ शानदार जीत हासिल की. उनके सामने कांग्रेस के फ़िरोज़ अहमद केवल 29% वोट शेयर के साथ बहुत पीछे रहे थे. जायसवाल ने 47,138 वोटों के भारी अंतर से जीत हासिल की थी.
पोद्दार ने 48% वोट शेयर के साथ बड़ी जीत हासिल की थी
2008 में बीजेपी के गिरिराज किशोर पोद्दार ने 48% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की, जबकि कांग्रेस के प्रियदर्शन गौड़ केवल 20% वोट शेयर हासिल कर सके थे. वहीं, इससे पहले 2003 के चुनाव में भाजपा की अलका जैन ने 44,220 वोटों के साथ सीट जीती, उन्होंने मौजूदा कांग्रेस विधायक डॉ. अवधेश प्रताप सिंह को हराया, जिन्हें 32,770 वोट मिले थे. इसके बाद अलका जैन मंत्री भी बनी थीं।
जातिगत समीकरण
कटनी की मुड़वारा विधानसभा सीट के चुनावी इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि यहां जातीय समीकरणों का प्रभाव सीमित रहा है. इस क्षेत्र में जाति आधारित राजनीति का महत्व महत्वहीन साबित हुआ है. एक उल्लेखनीय पहलू यह है कि इस सीट में मतदाता केवल जातिगत संबद्धता के आधार पर उम्मीदवारों को वोट नहीं देते. नतीजतन, कोई भी दावेदार या उम्मीदवार केवल इसलिए मजबूत स्थिति का दावा नहीं कर सकता क्योंकि उसकी जाति ज्यादा है. कटनी की मुड़वारा सीट इसका उदाहरण है, जहां विभिन्न जातियों के उम्मीदवार विजयी हुए हैं. जनता ब्राह्मण, ठाकुर, जैन, बनिया, अन्य पिछड़े, वैश्य और अन्य सभी को निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया है.
भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग
बता दें कि मुड़वारा विधानसभा सीट में भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग देखने को मिली है. जहां शुरुआत के वर्षों में ये सीट कांग्रेस की गढ़ थी, वहीं पिछले कुछ सालों में भाजपा ने लगातार जीत हासिल की है. 1977 में जनता पार्टी के विभाष चंद्रा जैसे अपवाद को छोड़कर इस सीट पर 1952 से 1998 तक कांग्रेस का दबदवा था. हालांकि, भाजपा का उदय 1993 में शुरू हुआ जब सुकीर्ति जैन ने सीट हासिल की. तब से, 1998 को छोड़कर भाजपा ने लगातार जीत हासिल की है.