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14 Mar 2025, Fri

Iranian saffron:27 फीसदी तक महंगा हुआ ईरानी केसर, खाने-पीने से लेकर दवाएं तक हो सकती है महंगी

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Iranian saffron:27 फीसदी तक महंगा हुआ ईरानी केसर, खाने-पीने से लेकर दवाएं तक हो महंगी सकती है ए वेस्ट एशिया में चल रहे जियो पॉलिटिकल टेंशन और ईरान में मचे बवाल की मार केसर पर पड़ी है. भारत में रिटेल में केसर के दाम 4.95 लाख रुपए किलो तक पहुंच गया है.  जम्मू- कश्मीर और उसके आस-पास के ईलाकों में केसर के उत्पादन घटने की वजह कुछ और नहीं बल्कि यहां की बढ़ रही सीमेंट फैक्ट्रीज हैं. बडगाम में टूरिस्ट का काम करने वाले इजाज अहमद का कहना है कि बडगाम में इन दिनों कई सारी नई सीमेंट की फैक्ट्रीज खुल गई है

दरअसल ईरान पूरी दुनिया को केसर सप्लाई करता है. भारत में भी केसर ईरान से ही आता है. वेस्ट एशिया में चल रहे टेंशन की वजह से केसर की सप्लाई ठप हो गई है, सप्लाई न होने की वजह से भारत में केसर 20 से 27 फीसदी तक महंगा हो गया है.

जम्मू कश्मीर के कारोबारियों के मुताबिक जम्मू कश्मीर के ईलाकों में केसर की कीमतों में एक महीने के अंदर 27 फीसदी तक की तेजी आ गई है. बेस्ट क्वालिटी का केसर जो पहले 3.5 से 3.6 लाख रुपए किलो मिलता था वो अब बढ़कर 4.95 लाख रुपए तक पहुंच गया है.

ईरान में सबसे ज्यादा केसर का उत्पादन,  430 टन केसर का उत्पादन

इसी तरह होलसेल केसर जो जम्मू कश्मीर में पहले 2.8 से 3 लाख रुपए किलो बिकता था वो अब बढ़कर 3.62 लाख के करीब पहुंच चुका है. दरअसल ईरान हर साल करीब 430 टन केसर का उत्पादन करता है. जो दुनिया के कुल उत्पादन का 90 फीसदी होता है. माना जा रहा है केसर के महंगे होने के चलते खाने-पीने की चीजें, कॉस्मैटिक आइटम्स यहा तक दवाएं भी महंगी हो सकती है. इसकी वजह यह है कि इन सभी चीजों में केसर के फ्लेवर का इस्तेमाल किया जाता है.

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भारत की कैसे बढ़ेगी मुश्किल

भारत हर साल करीब 55 से 60 टन केसर का इंपोर्ट ईरान से करता है. जियो प़ॉलिटिकल टेंशन की वजह से यह सप्लाई रुक गई है. लिहाजा भारत में केसर का सकंट हो गया है. जिसकी वजह से कीमतों में अचानक तेज बढ़ोतरी देखने की मिल रही है. वहीं भारत में घटते केसर के उत्पादन ने मुश्किलें और बढ़ा दी है. आकंड़ों के मुताबिक साल 2011 -12 के दौरान भारत करीब 8 टन केसर का उत्पादन करता था. जो साल 2023- 24 में घटकर केवल 2.6 टन रह गया है. जबकि भारत में केसर की खपत 60 टन से भी ज्यादा है. लिहाजा केसर के लिए भारत को ईरान पर मिर्भऱ रहना होता है. श्रीनगर में केसर का कारोबार करने वाले कारोबारी शाबाज बिन खालिक के मुताबिक केसर की कीमतें हर रोज बढ़ रही है. अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में दाम और बढ़ेंगे.

इन देशों को केसर सप्लाई करता है भारत

भारत खुद भी केसर का उत्पादन करता है. जम्मू कश्मीर के पंपोर, बडगाम, किस्तवाड़ और श्रीनगर जैसे ईलाकों में इसकी खेती होती है. लेकिन इसका उतपादन महज 2 से 3 टन का रह गया है. दरअसल केसर का उत्पादन करना बेहद कठिन होता है. एक दस ग्राम केसर का उत्पादन करने में 160 से 180 फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. भारत केसर का एक्सपोर्ट यूएई, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, नेपाल और कनाडा जैसे देशों को करता है. अब मुसीबत ये है कि जब भारत अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा तो इन देशों को सप्लाई कहां से करें.

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क्या है मुसीबत की असली जड़

जम्मू- कश्मीर और उसके आस-पास के ईलाकों में केसर के उत्पादन घटने की वजह कुछ और नहीं बल्कि यहां की बढ़ रही सीमेंट फैक्ट्रीज हैं. बडगाम में टूरिस्ट का काम करने वाले इजाज अहमद का कहना है कि बडगाम में इन दिनों कई सारी नई सीमेंट की फैक्ट्रीज खुल गई है. जिसकी वजह केसर की खेती पर असर पड़ा है. इजाज के मुताबिक केसर की खेती के लिए वातावरण का साफ होना बेहद जरूरी है. लेकिन इन फैक्ट्रियों से जो कचरा निकल रहा है उसकी वजह से केसर का उत्पादन कम होने लगा है.

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम