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21 Mar 2025, Fri

जबलपुर में दरोगा रिश्वत लेते गिरफ्तार, लोकायुक्त ने दबोचा

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जबलपुर। जबलपुर के एसआई विनोद दुबे पहले भी फरियादी से 5,000 रुपए की रिश्वत की पहली किस्त ले चुका था। इसके बाद उसने दूसरी किस्त के रूप में और पैसे की मांग की। फरियादी ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से की, जिसके बाद लोकायुक्त टीम ने उसे पकड़ लिया। मध्य प्रदेश के जबलपुर में भ्रष्टाचार के एक और मामले में लोकायुक्त पुलिस ने सिविल लाइन थाने में पदस्थ सब-इंस्पेक्टर (एसआई) विनोद दुबे को घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी एसआई पर फरियादी से 10,000 रुपए रिश्वत मांगने का आरोप है। लोकायुक्त पुलिस ने उसे रिश्वत की पहली किस्त के तौर पर 5,000 रुपए लेते हुए पकड़ा है। लोकायुक्त डीएसपी सुरेखा परमार ने जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी जहांगीर खान ने शिकायत की थी कि एसआई विनोद दुबे ने उसके खिलाफ दर्ज एक मामले में चालान पेश करने के एवज में 10,000 रुपए की मांग की थी। इससे पहले आरोपी एसआई फरियादी और उसके दोस्तों से एक लाख रुपए से अधिक की रिश्वत ले चुका था। फरियादी ने रिश्वत देने में असमर्थता जताई और लोकायुक्त पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज कराई।

घूस लेते रंगे हाथ पकड़ा गया दारोगा

लोकायुक्त पुलिस ने योजना बनाकर एसआई विनोद दुबे को घूस लेते रंगे हाथ पकड़ने का फैसला किया। फरियादी से मिली जानकारी के आधार पर डीएसपी सुरेखा परमार की अगुवाई में एक टीम गठित की गई टीम ने एसआई को रिश्वत की रकम लेते हुए सिविल लाइन थाना परिसर में ट्रैप किया। लोकायुक्त पुलिस के अनुसार, एसआई विनोद दुबे पहले भी फरियादी से 5,000 रुपए की रिश्वत की पहली किस्त ले चुका था इसके बाद उसने दूसरी किस्त के रूप में और पैसे की मांग की. फरियादी की शिकायत पर लोकायुक्त ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उसे पकड़ लिया।

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दारोगा से लोकायुक्त टीम ने की पूछताछ

गिरफ्तारी के बाद लोकायुक्त पुलिस एसआई को सर्किट हाउस लेकर गई, जहां उससे पूछताछ की जा रही है। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। डीएसपी सुरेखा परमार ने बताया कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और आरोपी को न्यायालय में पेश किया जाएगा। वहीं फरियादी ने कहा कि एसआई विनोद दुबे ने उससे लगातार पैसे मांगे और धमकियां दीं। जब यह असहनीय हो गया तो उन्होंने लोकायुक्त से संपर्क किया।

डीएसपी सुरेखा परमार ने कहा, “एसआई के खिलाफ पुख्ता सबूत मिलने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया। भ्रष्टाचार जैसे मामलों में लोकायुक्त जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाता है.” इस घटना ने एक बार फिर पुलिस विभाग में मौजूद भ्रष्टाचार की ओर ध्यान आकर्षित किया है। लोकायुक्त की इस कार्रवाई से उम्मीद है कि प्रशासनिक तंत्र में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।

 

 

 

By Vivek Shukla

28 वर्ष से पत्रकारिता, क्राइम रिपोर्टर के रूप में लंबा अनुभव डिजिटल मीडिया में सक्रिय, खबरों का फॉलोअप तथा उसकी तह तक जाना वर्तमान में यशभारत डॉट कॉम में उप संपादक