विधानसभा में विधायक संजय पाठक ने उठाया कटनी में श्रम न्यायालय कोर्ट खोलने का मुद्दा
विधानसभा में विधायक संजय पाठक ने उठाया कटनी में श्रम न्यायालय कोर्ट खोलने का मुद्दा
श्रम न्यायालय खुलने से जिले के 50 हजार मजदूरों कर्मचारियों को होगा सीधा लाभ
कटनी। कटनी के जिला बनने के 26 साल बाद भी श्रम न्यायालय कोर्ट के न होने से लोग विशेषकर मजदूर वर्ग बेहद परेशान हैं। उन्हें मुकदमों की सुनवाई के लिए जबलपुर जाना पड़ता है।
कटनी जिले में कटनी, विजयराघवगढ़, कैमोर, कुटेश्वर बड़वारा में औद्योगिक क्षेत्र आते हैं। इसके अलावा जिले में अन्य स्थानों पर भी काफी औद्योगिक एवं खदान कंपनियां हैं। इन कंपनियों में हजारों की संख्या में मजदूर काम करते हैं।
नगर निगम ,नगर परिषद,स्कूलों, दुकानों व अन्य स्थानों पर काम करने वाले मजदूर भी यहां काफी संख्या में हैं। जहां प्रबंधन व मजदूरों में विवाद चलता रहता है।
कटनी में श्रम निरीक्षक तथा श्रम व समझौता अधिकारी तो बैठते हैं, लेकिन श्रम न्यायालय न होने के कारण मजदूरों तथा प्रबंधकों को अपने मामलों की सुनवाई के लिए जबलपुर कोर्ट जाना पड़ता है।
जहां जाने आने की जरूरतों में उनकी जमापूंजी खर्च हो जाती है। गरीब मेहनत कस मजदूरों की इन्हीं सब परेशानियों को देखते हुए विजयराघवगढ़ विधायक संजय पाठक ने पूर्व में मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव को कटनी में श्रम न्यायालय कोर्ट खोलने के कार्यवाही का पत्र लिखा था। इसके पहले भी विधायक संजय पाठक लगातार विजयराघवगढ़ विधानसभा एवं कटनी जिले के जनहित के मुद्दे लगातार विधानसभा सहित सभी फ़ोरम पर उठाते रहे हैं।
श्रम न्यायालय खुलने के सम्बंध में यहां यह बता दें यदि किसी मजदूर को प्रबंधकों से कोई शिकायत होती है तो पहले वह श्रम निरीक्षक के पास दायर होती है। वहां से निपटारा न होने पर श्रम एवं समझौता अधिकारी के पास शिकायत निपटारा होने जाती है। यदि वहां भी शिकायत का हल नहीं निकलना है, तो शिकायत का डिमांड नोटिस श्रम आयुक्त के यहां भेजा जाता है। पर वहां भी संतुष्टि न मिलने पर श्रमिकों के पास श्रम अदालत जबलपुर जाने का खर्चीला एवं परेशानियों से भरा विकल्प होता है ।
अदालत में मामलों की पैरवी याचिकाकर्ता खुद, उसका वकील या कोई अधिकृत प्रतिनिधि कर सकता है। इसमें श्रमिक संगठनों के नेता भी पैरवी कर सकते हैं। श्रम न्यायालय खुलने से जिले के 50 हजार मजदूरों कर्मचारियों सहित स्थानीय वकीलों को भी मिलना तय है। जिससे मजदूरों को न्याय मिलने में आसानी होगी।