मध्य प्रदेश में धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। खंडवा जिले के दो याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर पिटीशन पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने जिला कलेक्टर को 30 दिनों के भीतर याचिकाकर्ताओं के पूर्व में दिए आवेदन पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने सभी धर्मस्थलों से लाउडस्पीकर हटाने का निर्णय लिया था। इसके तहत प्रदेश भर में ताबड़तोड़ कार्रवाई की जा रही है। खंडवा जिले में भी प्रशासन और पुलिस की टीमों ने धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकर हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी, जिससे याचिकाकर्ता असंतुष्ट थे।
याचिकाकर्ताओं, हजरत बुलंद शहीद मस्जिद के नायब इमाम शेख जावेद और लव जोशी, ने अपने आवेदन में जिला कलेक्टर, कमिश्नर और प्रदेश के प्रमुख सचिव से सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाइंस के तहत अपने धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, प्रशासन द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था और बिना किसी लिखित सूचना के लाउडस्पीकर हटा दिए गए थे।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता आर्यन उरमलिया ने बताया कि जनवरी में पुलिस प्रशासन की एक बैठक में यह तय किया गया था कि धर्मस्थलों को आवेदन के माध्यम से लाउडस्पीकर की अनुमति दी जाएगी। इसके बावजूद, याचिकाकर्ताओं के पत्राचार का कोई निराकरण नहीं हुआ और प्रशासन ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए लाउडस्पीकर हटा दिए।
हाईकोर्ट ने अब जिला कलेक्टर को 30 दिनों के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया है। अधिवक्ता उरमलिया का मानना है कि यह याचिका संपूर्ण मध्य प्रदेश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। हाल ही में प्रदेश भर में लाउडस्पीकर हटाने की कार्रवाई के चलते यह आदेश महत्वपूर्ण है और इससे आगे की कार्रवाई प्रभावित हो सकती है।
इस फैसले से धर्मस्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर स्पष्टता की उम्मीद है, और याचिकाकर्ताओं को न्याय मिलने की संभावना बढ़ गई है। प्रशासन को अब सुप्रीमकोर्ट की गाइडलाइंस के तहत उचित निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया गया है, जिससे धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा।