High Court News: उमरिया कलेक्टर पर हाईकोर्ट ने लगाया 25 हजार का जुर्माना। एक महिला आरोपित को जिला बदर करने के मामले में हाई कोर्ट ने उमरिया कलेक्टर पर 25 हजार का जुर्माना लगाने का आदेश दिया है। मामला उमरिया जिले का है जहां बिरसिंहपुर पाली निवासी मुन्नी उर्फ माधुरी तिवारी के खिलाफ जिला बदर किए जाने का आदेश दिया गया था।
उमरिया जिले की पाली थाना निवासी महिला मुन्नी उर्फ माधुरी तिवारी ने कलेक्टर द्वारा अक्तूबर 2024 में पारित जिला बदर के आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि कलेक्टर के आदेश के खिलाफ उन्होंने संभागायुक्त के समक्ष अपील दायर की थी। संभागायुक्त के द्वारा अपील खारिज किये जाने के कारण उक्त याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया था कि उसके खिलाफ छह अपराधिक मामले दर्ज हैं और किसी में भी उसे सजा से दंडित नहीं किया गया है। इसमें से दो धारा 110 के तहत तथा दो मामूली मारपीट की धाराओं के है। इसके अलावा दो प्रकरण एनडीपीएस एक्ट के तहत दर्ज किये गये हैं।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कलेक्टर उमरिया ने अधिनियम 1990 की धारा 5 (बी) की अपेक्षाओं के विपरीत आदेश पारित किया है। ऐसा प्रतीत होता है कि निष्कासन का आदेश कानून की अपेक्षाओं के अलावा केवल कुछ अन्य बाध्यताओं पर पारित किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संभागीय आयुक्त शहडोल ने भी मामले के तथ्य और परिस्थितियों पर अपना दिमाग नहीं लगाया है। बिना दिमाग लगाए अपील को खारिज करने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिये। यह एक गंभीर मामला है और संभागीय आयुक्तों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी अधिनियम के प्रावधानों के तहत उनके समक्ष अपील दायर करते समय अपना दिमाग का उपयोग करेंगे और उन्हें डाकघर के रूप में कार्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि जिला कलेक्टर ने एसएसओ मदनलाल मरावी के बयान के आधार पर महिला के खिलाफ जिला बदर के आदेश पारित किया है। एसएसओ ने बयान में स्वीकार किया है कि एनडीपीएस के एक प्रकरण में आरोपी रमेश सिंह सेंगर के बयानों के आधार पर याचिकाकर्ता महिला को आरोपी बनाया गया था। उसके पास से कोई प्रतिबंधित पदार्थ जब्त नहीं किया गया था।
पाली क्षेत्र के किसी भी व्यक्ति ने यह बयान नहीं दिया है कि याचिकाकर्ता को स्वतंत्र रहने दिया जाता है, तो उनके अस्तित्व को समस्या होगी। याचिकाकर्ता के खिलाफ पुलिस कर्मियों के साथ झगड़ा तथा कोई समाज, संगठन या समुदाय के विवाद की कोई शिकायत नहीं है। एकलपीठ ने कलेक्टर तथा संभागायुक्त द्वारा पारित आदेश को निरस्त करते हुए राज्य सरकार को मुकदमे की लागत 25 हजार रुपये वहन करने के आदेश जारी किये हैं। जिला कलेक्टर सात दिनों के अंदर उक्त राशि याचिकाकर्ता को प्रदान करें। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता संजीव कुमार सिंह ने पैरवी की।