Global Warming: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में खुलासा, सदी के अंत तक 3 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकती है धरती की गर्मी जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग इन दिनों वैश्विक चिंता का विषय हैं। लेकिन संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ, वह और भी ज्यादा खतरनाक है।
रिपोर्ट के अनुसार, सदी के अंत तक दुनिया पूर्व औद्योगिक स्तर से लगभग तीन डिग्री सेल्सियस ग्लोबल वार्मिंग की ओर बढ़ रही है। अगर अब देश गैसों के उत्सर्जन को कम करने वाली अपनी योजनाओं को 100 प्रतिशत भी लागू कर दें तो भी फर्क पड़ना मुश्किल है। बता दें, 2021-2022 में वैश्विक गैस उत्सर्जन में 1.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
संयुक्त राष्ट्र ने सोमवार को पर्यावरण कार्यक्रम की उत्सर्जन अंतर रिपोर्ट- 2023 जारी की। रिपोर्ट का शीर्षक ब्रोकन रिकॉर्ड है। रिपोर्ट में बताया गया कि अगर देशों को ग्लोबल वार्मिंग को एक प्रतिशत कम करना है तो उन्हें गैस उत्सर्जन में 28 प्रतिशत की कमी करनी होगी। वहीं, अगर 1.5 प्रतिशत कम करने के लिए देशों को उत्सर्जन में 42 प्रतिशत की कटौती आवश्यकता होगी।
गैस उत्सर्जन में प्रगति
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि देशों ने पेरिस समझौते पर गंभीरता से काम किया है। हस्ताक्षर करने के बाद से देशों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में प्रगति की है। बता दें, 2016 में जारी रिपोर्ट में तापमान वृद्धि का अनुमान 3.4 डिग्री सेल्सियस लगाया गया था, जो ताजा रिपोर्ट में तीन प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि देशों ने बेहतर काम किया है, बावजूद इसके ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना बहुत कठिन है।
ऐसे कम कर सकते हैं तापमान
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटनियो गुटेरेस ने कहा कि 1.5 डिग्री की सीमा के लक्ष्य को हासिल करना अब भी संभव है। लेकिन इसके लिए जीवाश्म ईंधन को खत्म करने की आवश्यकता है। 1.5 डिग्री की सीमा को हासिल करना एक न्यायसंगत परिवर्तन की मांग करता है।
यह है पेरिस समझौता
जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर साल 2015 में फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक क्लाइमेट समझौता हुआ था। जिसकी मंशा थी कि दुनिया में बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग पर काबू पाने के लिए एकसाथ आगे बढ़ा जाए। समझौते के शुरूआती चरण में ही 70 से ज्यादा देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे। इसके बाद बीते साल दिसंबर में पेरिस में जुटे 195 देशों ने सदी के अंत तक वैश्विक तापमान को दो डिग्री सेल्सियस कम रखने का लक्ष्य तय करते हुए समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।