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13 Mar 2025, Thu

EPF New Rule 2021: एक अप्रैल से बदलने वाले हैं ईपीएफ के नियम

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EPF New Rule 2021: देश में एक अप्रैल 2021 को करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव होने जा रहा है। दरअसल इस दिन पीएफ से जुड़ा एक नया नियम लागू होने वाला है। यह नियम उन्हें अधिक प्रभावित करेगा, जिनकी इनकम अधिक है और ईपीएफ खाते में कॉन्ट्रीब्यूशन ज्यादा करते हैं।

गौरतलब है कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार बजट में घोषणा की थी कि जिन लोगों का पीएफ में सालाना योगदान 2.5 लाख रुपए से ज्यादा है। वह मिलने वाले ब्याज पर टैक्स छूट के दायरे से बाहर आएंगे। सरकार का दावा है कि नए नियम के लागू होने से 1 प्रतिशत से भी कम कर्मचारी प्रभावित होंगे। व्यय सचिव टी.वी. सोमनाथन का कहना है कि जो कर्मचारी 2.5 लाख से अधिक का योगदान कर रहे हैं। उनकी संख्या कुल योगदान करने वालों का एक प्रतिशत से कम है। बता दें ईपीएफओ के अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नए नियम के पीछे मकसद सरकार का राजस्व घाटे से उभरना है। सरकार के इस फैसला से वहीं कर्मचारी ज्यादा प्रभावित होंगे जिनकी सालाना इनकम 20.83 लाख रुपए से अधिक है। हालांकि इस नए नियम के लागू होने के बाद पैसे जमा करने वालों की संख्या में कमी देखने को मिल सकती है, क्योंकि पीएफ खाते में ज्यादा ब्याज और इनकम टैक्स में छूट के चलते लोग इंवेस्ट करते हैं।

ईपीएफ नियम 1 अप्रैल, 2021 से बदलेगा, जानिये इसके बारे में विस्‍तार से

ईपीएफ या कर्मचारी भविष्य निधि एक सामाजिक लाभ योजना शुरू की गई थी, जिसके लिए कर्मचारी और नियोक्ता दोनों मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 प्रतिशत योगदान करते हैं। वित्त मंत्री द्वारा घोषित केंद्रीय बजट 2021 में, नई कर सीमा रखी गई है। और पीएफ में योगदान के लिए रु। एक वर्ष में 2.5 लाख, इस पर मिलने वाला ब्याज अब कर निहितार्थ होगा।

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ईपीएफ अंशदान पर 2.5 लाख रु. कर क्यों?

सरकार को पहले से ही राजस्व की कमी का सामना करना पड़ रहा है और समग्र अर्थव्यवस्था के उत्थान के लिए इसकी बड़ी भूमिका है। क्लियरटैक्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अर्चित गुप्ता के अनुसार इसकी पुनरावृत्ति के बीच, “भविष्य निधि पर कर मुक्त ब्याज का भुगतान करना अधिक से अधिक अस्थिर हो जाता है सरकार अपने पीएफ खातों में अधिक योगदान करने वाले स्वयं से उच्च आय वालों पर अंकुश लगाना चाहती है।

हम इस कदम से कैसे प्रभावित होंगे?

आम तौर पर उच्च आय कमाने वालों को वार्षिक आय रु। 20.83 प्रति वर्ष बड़े पैमाने पर मारा जाएगा। यहाँ क्या ध्यान दिया जाना चाहिए कि उक्त कर निहितार्थ के लिए केवल कर्मचारी के योगदान को ध्यान में रखा जाता है न कि नियोक्ता के घटक को।

मौजूदा शासन में ईपीएफ टैक्स नियम

 

वर्तमान में ईपीएफ पर ब्याज वर्तमान में कर निहितार्थ से मुक्त है। इसलिए, नए शासक वेतनभोगी वर्ग के अनुसार या तो अच्छा वेतन कमाते हैं या फंड में अधिक योगदान करते हैं, ब्याज घटक पर कर निहितार्थ निकालेंगे (यदि कर्मचारी का योगदान एक वर्ष में 2.5 लाख रुपये से अधिक है)।

ईपीएफ के लिए क्या बदलाव होगा?

मुख्य रूप से EPF खाते में बड़ा योगदान देने वालों को भी प्रभावित किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा, “बड़े टिकट का पैसा जो फंड में आता है और टैक्स बेनिफिट के साथ ही 8% रिटर्न के बारे में भी बताया जाता है। इस प्रकार यह कदम बड़े कर मुक्त ब्याज पर अपना ध्यान केंद्रित करता है जो कि निकासी पर कर नहीं था।

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम