कुत्ते का बिस्किट बना आतंकवाद के खिलाफ हथियार, सेना की बड़ी कामयाबी; जानिए इनसाइड स्टोरी

कुत्ते का बिस्किट बना आतंकवाद के खिलाफ हथियार, सेना की बड़ी कामयाबी; जानिए इनसाइड स्टोरी। जम्मू-कश्मीर में खानयार इलाके में मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने शनिवार को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर उस्मान को मार गिराया है।
November Bank Holiday: नवंबर महीने में बैंकों के अवकाश, जानें तारीखें
कुत्ते का बिस्किट बना आतंकवाद के खिलाफ हथियार, सेना की बड़ी कामयाबी; जानिए इनसाइड स्टोरी
इस अभियान को सफल बनाने में सेना के शौर्य के साथ बिस्कुटों का भी काफी बड़ा योगदान रहा है. इस बार सेना के कई ऑपरेशन्स से ये साबित हो गया कि बंदूको के साथ-साथ एआई और बाकी चीजें भी मुठभेड़ में काफी प्रभावी होती हैं. कुछ ऐसा ही इस बार खानयार मुठभेड़ में हुआ, जहां बिस्कुटों के कारण मिशन में सेना को बड़ी सफलता मिली है।
कमांडर उस्मान को ढेर करने के लिए सेना ने एक रणनीति के तहत खोजी टीमों को आवारा कुत्तों को भौंकने से रोकने के लिए बिस्कुट दिए, जिससे सेना लक्ष्य की ओर बढ़ें तो आवारा कुत्ते भौंक न पाएं और सेना को मिशन में सफलता मिल पाए. खानयार इलाके में मुठभेड़ के बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर के खानयार इलाके में हुई मुठभेड़ दो साल से अधिक समय में जम्मू कश्मीर में पहली कोई इतनी बड़ी कार्रवाई थी।
कुत्तों के भौंकने से सतर्क हो जाते थे आतंकी
वहीं मुठभेड़ के बारे में सेना ने बताया कि जब खुफिया जानकारी में उस्मान की उपस्थिति का पता चला, तो अधिकारियों ने बिना किसी क्षति के अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नौ घंटे की योजना बनाई. सेना के पास इस दौरान एक महत्वपूर्ण चुनौती आवारा कुत्तों की थी, दरअसल इन कुत्तों के भौंकने पर आतंकवादी सतर्क हो जाते थे।
इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए सुरक्षाबलों को बिस्कुट दिए गए. खोजी टीमों ने जैसे ही अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू किया, उन्होंने आवारा कुत्तों को शांत करने के लिए उन्हें बिस्कुट खिलाए. यह एक अनूठी रणनीति थी जिसने अभियान की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इलाके से अच्छी तरह वाकिफ था उसमान
स्थानीय पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के संयुक्त ऑपरेशन से यह अभियान संचालित किया गया. इस ऑपरेशन पर सेना ने बताया कि उसमान घाटी के इलाके से अच्छी तरह वाकिफ था, 2000 के दशक की शुरुआत में अपने आतंकवादी गतिविधियों के लिए वो कुख्यात था, उसने पाकिस्तान में कुछ समय बिताने के बाद 2016-17 के आसपास वापस इस क्षेत्र में घुसपैठ की थी. इतना ही नहीं ये आतंकी पिछले साल पुलिस उपनिरीक्षक मसरूर वानी की हत्या में भी शामिल था।
November Bank Holiday: नवंबर महीने में बैंकों के अवकाश, जानें तारीखें
इस सफल अभियान के साथ सुरक्षाबलों को लश्कर-ए-तैयबा की एक ब्रांच द रेसिस्टेंस फ्रंट के खिलाफ भी बड़ी सफलता मिली है. यह शाखा गैर-स्थानीय मजदूरों और सुरक्षाकर्मियों पर हमले करने में शामिल रही है. इस मुठभेड़ ने यह स्पष्ट किया है कि सुरक्षा बल अपने अभियान की सफलता के लिए अद्वितीय और अपरंपरागत समाधान खोजने में कितना दूर जा सकते हैं।