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डॉक्टर सरकारी नहीं, बल्कि मरीजों को लिख रहे हैं बाहर की दवाएं, ब्रांडेड दवा खरीदने में गरीब मरीजों की हालत हो रही पस्त

       

कटनी। जिला अस्पताल में जाने वाले मरीज चाहते हैं कि पर्ची वगैरह काटकर लाइन वगैरह लगाकर कुछ पैसे बचा लें क्योंकि हर किसी के बस में डॉक्टर के निजी क्लीनिक का खर्च उठाने के पैसे नहीं है। ऐसे में अब जिला अस्पताल के डॉक्टर ही ब्रांडेड दवाइयां लिखने लगे तो मरीज कहां जाए।

डॉक्टर अधिकतर जिस एमआर के संपर्क में रहते हैं उसी कंपनी की दवाइयां लिखते हैं। हम बात कर रहे हैं जिले के एक मात्र जिला अस्पताल की, जहां स्वास्थ्य सेवाओं को पटरी पर लाने शासन, प्रशासन के द्धारा जितने भी प्रयास किए जाते हैं, सभी यहां पदस्थ चिकित्सकों व चिकित्सा स्टाफ की मनमानी की वजह से फेल हो जाते हैं।

नवागत कलेक्टर दिलीप कुमार यादव भी पदभार ग्रहण करने के बाद जिला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे, उनके सामने तो व्यवस्थाएं सही कर दी गईं लेकिन जिला अस्पताल से कलेक्टर महोदय के निकलते ही हालात पहले जैसे हो गए।

जिला अस्पताल के डाक्टर मरीजों को जेनरिक दवा नहीं लिखते हैं। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने शुरू से ही जेनरिक दवा लिखने का निर्देश दिया है। फिर भी सरकारी डाक्टर जेनरिक दवाओं पर विश्वास नहीं जता पा रहे हैं और मरीजों को सिर्फ ब्रांडेड दवा ही लिखते हैं, जिससे जो मरीज पांच या 10 रुपये की पर्ची कटवाकर डाक्टर से दिखाने पहुंचते हैं।

उन्हें एक बार में कम से कम 1000 रुपये का ब्रांडेड दवा लेनी पड़ रही है। यह स्थिति जिला अस्पताल से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक की है। जिला अस्पताल के अलावा जिले भर में स्थित सीएचसी और पीएचसी में भी ब्रांडेड दवा ही लिखी जा रही है। हालांकि इन ग्रामीण अस्पतालों में सरकार द्वारा ही नि:शुल्क दवा उपलब्ध करायी गई है। फिर भी कुछ दवाओं के लिए इन्हें ब्रांडेड दवा खरीदनी पड़ती है।

कई बार आदेश जारी हुआ लेकिन हुआ कुछ नहीं
मरीजों को ब्रांडेड दवा ही लिखने को लेकर कई बार बड़े अधिकारियों द्वारा आदेश जारी किया गया है। लेकिन सरकारी डाक्टर उन्हीं ब्रांडेड दवा को लिखते हैं जिस कंपनी के एमआर उनके संपर्क में रहते हैं। ऐसी स्थिति को देखने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि इन आदेशों को निकालने वाले खुद स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारी हैं। जो हमेशा एनएमसी और स्वास्थ्य विभाग का हवाला देते हुए डाक्टरों को तत्काल प्रभाव से जेनरिक दवा ही लिखने का आदेश देते हैं।

बाहर की दवाएं लिखने के साथ ही मेडिकल स्टोर्स भी लिख रहे सरकारी डाक्टर

हद तो तक हो गई जब जिला अस्पताल में पदस्थ कुछ चिकित्सक बाहर की दवाएं लिखने के साथ ही सरकारी पर्ची पर उस मेडिकल स्टोर्स का नाम भी लिख कर मरीज को दे रहे हैं, जहां उनके द्धारा लिखी गई दवा मिलेगी।

बाहर की दवा लिखने पर डाक्टरों पर की जा रही कार्रवाई-सीएस

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डाक्टर यशवंत वर्मा ने इस संबंध में बताया कि बाहर की दवा लिखने पर डाक्टरों पर कार्रवाई की जा रही है। हाल ही जिला अस्पताल में मानसेवी चिकित्सक के रूप में सेवाएं देने आए एक त्वचा रोक विशेषज्ञ पर बाहर की दवा और मेडिकल स्टोर्स का नाम लिखने पर कार्रवाई की गई है। सिविल सर्जन डाक्टर यशवंत वर्मा का यह भी कहना है कि डाक्टरों को कई बार जेनरिक दवा लिखने का निर्देश दिया जा चुका है। लेकिन वे जेनरिक दवा नहीं लिख रहे हैं। इसे लेकर फिर से सभी डाक्टरों के साथ बैठक कर उन्हें दिशा-निर्देश दिया जाएगा ताकि मरीजों को सस्ते दर पर गुणवक्तता पूर्ण दवा मिल सके।

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