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14 Mar 2025, Fri

Dhananjay Singh: पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत दो को 7-7 साल की सजा, नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव

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Dhananjay Singh: पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत दो को 7-7 साल की सजा, लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे , नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण, रंगदारी मांगने, धमकाने और आपराधिक साजिश के मामले में एडीजे चतुर्थ / विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने बुधवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उसके सहयोगी संतोष विक्रम सिंह को सात-सात साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई।

अदालत ने दोनों अभियुक्तों पर डेढ़-डेढ़ लाख रुपये जुर्माना भी लगाया है। अदालत ने कहा कि इस मामले में अभियुक्तगण द्वारा जेल में बिताई गई अवधि सजा की अवधि में समायोजित की जाएगी। अदलत के आदेश से दोनों अभियुक्तों को न्यायिक अभिरक्षा में जिला जेल भेज दिया गया। इसके साथ ही यह भी तय हो गया कि अब धनंजय सिंह लोकसभा और विधानसभा चुनाव नहीं लड़ पाएगा।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि मामले में यह सिद्ध हुआ है कि अभियुक्तगण द्वारा वादी मुकदमा को उसके कार्यक्षेत्र से जबरन अपने घर बुलवाकर पिस्तौल दिखाकर उसे व उसकी कंपनी के लोगों को डराया व धमकाया गया। उन पर यह दबाव डाला गया कि नमामि गंगे परियोजना में मात्र और मात्र अभियुक्तगण का ही गिट्टी व बालू प्रयोग किया जाए। अन्यथा की स्थिति में वादी व उसकी कंपनी के लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा।

मगर, मामले को देखने से यह स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के द्वारा समर्थ व सक्षम होने के बावजूद भी वादी को घटना के समय व उसके पश्चात किसी तरह की कोई भी शारीरिक हानि नहीं पहुंचाई गई। अभियुक्त धनंजय सिंह जनप्रतिनिधि भी है और दूसरा अभियुक्त संतोष विक्रम सिंह उसका सहयोगी है। अभियुकगण के खिलाफ दर्ज अधिकांश मुकदमे दोषमुक्ति, उन्मोचन, फाइनल रिपोर्ट या सरकार द्वारा वापस लिए जाने के आधार पर समाप्त हो चुके हैं। इस न्यायालय के समक्ष भी बुलाए जाने पर अभियुक्तगण ट्रायल के दौरान हाजिर होते रहे हैं।

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हाईकोर्ट में करेंगे अपील: धनंजय सिंह

अदालत ने कहा कि अभियुक्तगण को अपहरण, रंगदारी मांगने, अपमानित करने, धमकाने और आपराधिक साजिश के तहत दोषसिद्ध किया गया है। मामले को देखने से निश्चित तौर पर स्पष्ट है कि अभियुक्तगण के द्वारा वादी मुकदमा को अपने साथ जबरन ऐसे ले जाया गया था कि वह हत्या होने के खतरे में पड़ गया था। मगर, वादी को मामले में किसी तरह की कोई भी शारीरिक चोट नहीं आयी है। अभियुक्त धनंजय जनप्रतिनिधि है। विधि का यह नियम है कि अपराधी को अपराध के अनुपात के अनुसार दंडित किया जाए।

पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर अपहरण के मामले में धारा 364 के तहत 50 हजार व रंगदारी के मामले में धारा 386 के तहत 25 हजार का अर्थदंड लगा है। धनंजय ने कहा कि नमामी गंगे परियोजना के तहत हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने आवाज उठाई, इसलिए ये कार्रवाई हुई है। हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस दौरान कोर्ट के अंदर से लेकर बाहर तक समर्थकों की भारी भीड़ रही। धनंजय भैया जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए।

पूर्व सांसद धनंजय व संतोष विक्रम सिंह को इन धाराओं में हुई सजा
1-364 भारतीय दंड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।
2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना
3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।
4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।

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यह था मामला

मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा था कि रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे। वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए। वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यहां की अदालत से जमानत निरस्त हुई। बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली। धनंजय ने उस समय जेल जाते समय आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक ने षड्यंत्र कर उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम