भोपाल। लोकसभा चुनाव खत्म होते ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने विभागों से अब तक हुए कामों का लेखा-जोखा लेना शुरू कर दिया है। इसके लिए विभागीय समीक्षाओं का सिलसिला शुरू हो गया है। स्वास्थ्य और उच्च शिक्षा विभाग की बैठकें हो चुकी हैं और तीन जून को पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा होगी।
मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि एक सप्ताह में विभागीय रोडमैप तैयार कर लें। वचन पत्र में किए गए वादों को प्राथमिकता में रखें और कामों को पूरा करने की समयसीमा भी तय करें। उधर, समीक्षा के समय होने वाले सवाल-जवाब के मद्देनजर मंत्रियों ने भी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल शनिवार को विभागीय समीक्षा करेंगे।
सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री का अब पूरा फोकस विभागों को गतिशील बनाने पर है। लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के चलते बीते ढाई माह में विभागीय काम लगभग ठप पड़ गए थे। मंत्रियों की व्यस्तता के चलते वचन पत्र में किए गए वादों पर भी कोई खास काम नहीं हो पाया। इसके मद्देनजर उन्होंने तय किया है कि वे विभागीय समीक्षा करेंगे। इसकी शुरुआत उन्होंने गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग से कर दी।
इस दौरान जनता को राइट टू हेल्थ का अधिकार देने पर कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। साथ ही मरीजों की सुविधा को देखते हुए सरकारी अस्पतालों की ओपीडी सुबह नौ से चार बजे तक चलाने की व्यवस्था बनाने का फैसला भी लिया गया। शुक्रवार को उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा हुई।
मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारियों ने बताया कि यह सिलसिला लगातार चलेगा। समीक्षा में वचन पत्र में विभाग से संबंधित वादों की स्थिति को लेकर मंत्री और अधिकारियों से सवाल-जवाब भी किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए मंत्री भी अलर्ट हो गए हैं।
समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री के सामने जाने से पहले खुद तैयारी कर रहे हैं। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा तीन जून को प्रस्तावित है। इसके मद्देनजर विभागीय मंत्री कमलेश्वर पटेल ने शनिवार को ही विभागीय अधिकारियों की बैठक बुला ली है।
राइट टू वॉटर देने पर विचार
उधर, मुख्यमंत्री ने राइट टू एजुकेशन, राइट टू फूड की तरह राइट टू वॉटर देने की दिशा में विचार करने की बात कही है। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पांसे ने बताया कि मुख्यमंत्री की सोच अभिनव है। जनता को पानी का अधिकार होना ही चाहिए। इसके लिए विभाग के स्तर पर कार्ययोजना बनाने पर मंथन किया जा रहा है।
साथ ही ग्रामीण नलजल योजना का दायरा बढ़ाने के लिए हर विधायक को मौजूदा वित्तीय वर्ष में चार-चार नलजल योजनाएं उनकी मांग पर स्वीकृत की जाएंगी। विधायकों की मांग और उनकी समस्याओं को सुलझाने के लिए क्षेत्रवार एक जून से बैठकें बुलाई गई हैं। इसके आधार पर बजट में प्रावधान रखा जाएगा।