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CBI के इतिहास में पहली बार किसी अधिकारी को मिली सजा, जानिए क्या पूरा मामला

       

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई के अंतरिम निदेशक बी. नागेश्वर राव को आज दिनभर कोर्ट में बैठने की सजा सुनाई है। सर्वोच्च अदालत ने अवमानना के एक मामले में सीबीआई के इतिहास में पहली बार किसी अधिकारी को यह सजा दी है। नागेश्वर राव पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है जो उन्हें अपनी जेब से भरना होगा।

यह पूरा मामला मुजफ्फरपुर बालिका संरक्षण गृह यौन उत्पीड़न मामले की जांच कर रहे अधिकारी एके शर्मा के ट्रांसफर का है। नागेश्वर राव ने कोर्ट से पूछे बगैर उनका स्थानांतरण कर दिया था। इसी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह सजा सुनाई है। करने पर सीबीआइ को कड़ी फटकार लगाई है।

लगा था, कोर्ट माफ कर देगा, लेकिन नहीं हुआ ऐसा

सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कहा कि नागेश्वर राव माफी मांगने को तैयार है और उनका मकसद कोर्ट की अवमानना नहीं थी, लेकिन सीजेआई रंजन गोगोई नहीं माने। उन्होंने कहा, ट्रांसफर करने से पहले आप एक दिन भी इंतजार नहीं कर सके।

सालों की सेवा पर लगा धब्बा, हो सकती है बड़ी कार्रवाई

दिनभर कोर्ट में बैठे रहने और एक लाख रुपए का जुर्माना भरने के बाद भी नागेश्वर राव की परेशानी कम नहीं होगी। खबर है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद सीबीआई में बड़ी बैठक हो रही है और उन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है। यदि ऐसा फैसला होता है कि 1986 बैच के इस अधिकारी की सेवा पर बड़ा धब्बा होगा।

कोर्ट ने चेताया था, हमारे आदेश से मत खेलना

इससे पहले हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को चेतावनी देते हुए कहा था कि कोर्ट के आदेश से कभी मत खेलना। मना करने के बावजूद एके शर्मा का स्थानांतरण करने को न्यायालय की अवमानना मानते हुए कोर्ट ने ट्रांसफर करने वाले तत्कालीन अंतरिम सीबीआइ निदेशक एम. नागेश्वर राव और सीबीआई निदेशक (अभियोजन) भास्करन को पेश होने का आदेश दिया था।

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