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Blood Infection Checking device: खून के इंफेक्शन और एनीमिया का पता लगाने के लिए RRI के वैज्ञानिकों ने तैयार की डिवाइस

Blood Infection Checking device: खून के इंफेक्शन और एनीमिया का पता लगाने के लिए RRI के वैज्ञानिकों ने तैयार की डिवाइस

Blood Infection Checking device: खून के इंफेक्शन और एनीमिया का पता लगाने के लिए RRI के वैज्ञानिकों ने तैयार की डिवाइस। बेंगलुरु के रमन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई) वैज्ञानिकों ने खून के इंफेक्शन और एनीमिया जैसी बीमारी जिसे सिकल सेल बीमारी (एससीडी) कहते हैं।

इसकी जांच के लिए एक किफायती, पोर्टेबल डिवाइस बनाया है. प्रोफेसर गौतम सोनी के नेतृत्व में, टीम ने ऐसी तकनीक तैयार की है जो रेड बल्ड सेल की कठोरता को मापती है, स्वस्थ और एससीडी-प्रभावित सेल के बीच का फर्क सामने रख कर बीमारी का पता लगाती है. यह डिवाइस कैसे काम करता है, कितना असरदार है, यह जानने के साथ-साथ पहले यह जानना जरूरी है कि यह सिकल सेल बीमारी क्या है और इस में क्या-क्या मुश्किल होती है।

इस डिवाइस का नाम इलेक्ट्रो-फ्लुइडिक डिवाइस है जो इस तरह से तैयार किया गया है कि यह खून के इंफेक्शन और एनीमिया जैसी समस्याओं को आसानी से पता लगा लेता है. इस डिवाइस को टेस्ट करने के लिए रिसर्च टीम ने एससीडी पेशेंट और स्वस्थ लोगों के बल्ड सेल की तुलना करके डिवाइस का टेस्ट किया. आरआरआई ने मंगलवार को कहा, उनकी मेथाडोलॉजी में सेल की मात्रा और उसकी कठोरता (Stiffness) को मापने के लिए फ्री-फ़्लाइट और कंस्ट्रिक्टेड-फ़्लाइट मोड में नमूनों का अध्ययन करना शामिल है

क्या होती है सिकल सेल बीमारी

सिकल सेल एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें खून की कमी हो जाती है. यह एक अनुवांशिक बीमारी है, जो जेनरेशन टू जेनरेशन चलती है. इस बीमारी में जो हमारे रेड बल्ड सेल होते हैं उनका शेप बदल जाता है. रेड बल्ड सेल आमतौर पर गोल आकार के होते हैं, लेकिन इस बीमारी में वो सिकल के शेप के या आधे चांद के शेप के हो जाते हैं. जहां स्वस्थ बल्ड सेल अपना आकार जरूरत के आधार पर बदल लेते हैं, पतली नली से गुजरते वक्त पतले हो जाते हैं, लेकिन सिकल बल्ड सेल कठोर हो जाते हैं, यह अपना आकार नहीं बदल पाते और डर यह होता है कि अगर यह छोटी रक्त कोशिकाओं से गुजरेंगे तो वो ब्लॉक हो जाती है और आगे खून स्पलाई नहीं हो पाता है. इस बीमारी की वजह से शरीर में खून की कमी हो जाती है।

एनीमिया की शिकायत होती है. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक में एनीमिया के काफी केस सामने आते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक (2019-21) के में, पुरुषों (15-49 वर्ष) में 25.0 प्रतिशत और महिलाओं (15-49 वर्ष) में 57.0 प्रतिशत है. लड़कों (15-19 वर्ष) में 31.1 प्रतिशत, लड़कियों में 59.1 प्रतिशत, गर्भवती महिलाओं (15-49 वर्ष) में 52.2 प्रतिशत और बच्चों (6-59 महीने) में 67.1 प्रतिशत एनीमिया के केस है.

एनीमिया से लड़ने में करेगा मदद

डिवाइस का यह इनोवेशन राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के मिशन का समर्थन कर सकता है, जिसके जरिए केंद्र का लक्ष्य 2047 तक एससीडी को खत्म करना है. एससीडी एक जीन उत्परिवर्तन (Gene mutation) है जो रेड बल्ड सेल के सख्त होने की वजह से गंभीर समस्या पैदा करता है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें ग्रामीण भारत के कई लोग भी शामिल हैं. आरआरआई ने कहा, हाई-प्रदर्शन तरल क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) जैसे मौजूदा ​​डिवाइस बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के लिए महंगे हैं।

आरआरआई में इस डिवाइस को सोनी, एस कौशिक और ए मिश्रा ने डेवलप किया है. हाई रिज़ॉल्यूशन और थ्रूपुट के साथ यह डिवाइस सेल को पूरी तरह से टेस्ट करता है. यह एससीडी और स्वस्थ रेड बल्ड सेल के बीच फर्क आराम से सामने रख देता है. प्रमुख इन्वेस्टिगेटर गौतम सोनी ने कहा, यह नई तकनीक आरबीसी फिजियोलॉजी और सेल की कठोरता में परिवर्तन पर हाई-रिज़ॉल्यूशन के साथ टेस्ट करती है।

ट्यूमर का भी लगेगा पता

आरआरआई ने कहा कि पोर्टेबल और लागत प्रभावी डिवाइस ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के लिए विशेष रूप से कामगर साबित हो सकता है, इससे संभावित रूप से एससीडी का पहले ही पता लगाया जा सकता है. एससीडी स्क्रीनिंग से परे यह ट्यूमर सेल का पता लगाने, पशु में बल्ड की बीमारी जैसी चीजों में भी अहम रोल निभा सकता है।

एनीमिया की शिकायत होती है. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहरी इलाकों तक में एनीमिया के काफी केस सामने आते हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक (2019-21) के में, पुरुषों (15-49 वर्ष) में 25.0 प्रतिशत और महिलाओं (15-49 वर्ष) में 57.0 प्रतिशत है. लड़कों (15-19 वर्ष) में 31.1 प्रतिशत, लड़कियों में 59.1 प्रतिशत, गर्भवती महिलाओं (15-49 वर्ष) में 52.2 प्रतिशत और बच्चों (6-59 महीने) में 67.1 प्रतिशत एनीमिया के केस है.

एनीमिया से लड़ने में करेगा मदद

डिवाइस का यह इनोवेशन राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के मिशन का समर्थन कर सकता है, जिसके जरिए केंद्र का लक्ष्य 2047 तक एससीडी को खत्म करना है. एससीडी एक जीन उत्परिवर्तन (Gene mutation) है जो रेड बल्ड सेल के सख्त होने की वजह से गंभीर समस्या पैदा करता है, जिससे दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें ग्रामीण भारत के कई लोग भी शामिल हैं. आरआरआई ने कहा, हाई-प्रदर्शन तरल क्रोमैटोग्राफी (एचपीएलसी) जैसे मौजूदा ​​डिवाइस बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग कार्यक्रमों के लिए महंगे हैं।

आरआरआई में इस डिवाइस को सोनी, एस कौशिक और ए मिश्रा ने डेवलप किया है. हाई रिज़ॉल्यूशन और थ्रूपुट के साथ यह डिवाइस सेल को पूरी तरह से टेस्ट करता है. यह एससीडी और स्वस्थ रेड बल्ड सेल के बीच फर्क आराम से सामने रख देता है. प्रमुख इन्वेस्टिगेटर गौतम सोनी ने कहा, यह नई तकनीक आरबीसी फिजियोलॉजी और सेल की कठोरता में परिवर्तन पर हाई-रिज़ॉल्यूशन के साथ टेस्ट करती है।

ट्यूमर का भी लगेगा पता

आरआरआई ने कहा कि पोर्टेबल और लागत प्रभावी डिवाइस ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग के लिए विशेष रूप से कामगर साबित हो सकता है, इससे संभावित रूप से एससीडी का पहले ही पता लगाया जा सकता है. एससीडी स्क्रीनिंग से परे यह ट्यूमर सेल का पता लगाने, पशु में बल्ड की बीमारी जैसी चीजों में भी अहम रोल निभा सकता है।

Blood Infection Checking device

 

 

 

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