Astrology : वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी व्यक्ति के जीवन में सुख, सौभाग्य और सफलता कुंडली में मौजूद ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों की स्थिति पर निर्भर होता है। इस संसार के हर एक व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि उसको जीवन में हर एक तरह का सुख मिले, करियर में अच्छी सफलता मिले और धन-दौलत की कोई कमी न रहें। व्यक्ति अपने इस सपने को पूरा करने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत भी करता है। लेकिन कई बार व्यक्ति के कड़ी मेहतन करने के बाद भी उसको उतनी सफलता नहीं मिलती जितनी उसको मिलनी चाहिए। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति की सफलता या असफलता, सुख-दुख और दुर्भाग्य- सौभाग्य ये सभी व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रहों की शुभता या अशुभता पर निर्भर करता है।
Astrology : अगर व्यक्ति की कुंडली में ग्रह शुभ स्थान पर होते हैं या फिर अन्य ग्रहों और भावों के साथ शुभ संबंध बनाते हैं तो व्यक्ति के जीवन में हमेशा खुशियां और सफलताएं प्राप्त होती हैं। जीवन में तरक्की और सफलता पाने के लिए कुंडली में कुछ ग्रहों का मजबूत होना बहुत ही जरूरी होता है। अगर आपकी कुंडली में ग्रह कमजोर होंगे जीवन में तरह-तरह की बाधाएं आएंगी। आइए जानते हैं जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता पाने के लिए किन-किन ग्रहों को प्रसन्न रखना चाहिए।
Astrology : कुंडली में गुरु ग्रह को रखें मजबूत
वैदिक ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह का विशेष स्थान होता है। गुरु ग्रह सुख, ज्ञान, नौकरी और प्रगति के कारक ग्रह हैं। बृहस्पति ग्रह को देवताओं का गुरु माना जाता है। सभी ग्रहों में गुरु ग्रह को अत्यंत ही शुभ ग्रह माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरु ग्रह को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। गुरु ग्रह धनु और मीन राशि के स्वामी होंते हैं। वहीं गुरु ग्रह को पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का स्वामी माना गया है। जिन जातकों की कुंडली में गुरु शुभ स्थान पर होते हैं। उन्हे भाग्य का अच्छा साथ मिलता है। ऐसे जातकों को नौकरी में तरक्की, मान-सम्मान और धन की प्राप्ति होती है। गुर ग्रह को ज्ञान, शिक्षा, संतान और धन आदि कारक ग्रह माना गया है। जिन जातकों कि कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते हैं ऐसे लोग अपने जीवन में खूब तरक्की और धन दौलत का सुख हासिल करने में कामयाब होते हैं। जिन लोगों की कुंडली में गुरु ग्रह दसवें भाव में स्थिति होते हैं या फिर इस भाव में अपनी द्दष्टि रखते हैं उनको अच्छी नौकरी की प्राप्ति होती है।
कुंडली में सूर्य को करें मजबूत और पाएं सफलता
वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्म का कारक ग्रह माना गया है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रह मान-सम्मान, यश, नौकरी और उच्च पद का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य को सिंह राशि का स्वामित्व प्राप्त होता है। सूर्य मेष राशि में उच्च के होते हैं और तुला राशि में नीच के होते हैं। जिन लोगों को नौकरी और जीवन में अच्छी सफलता पानी होती है उन्हें अपनी कुंडली में सूर्यदेव को मजबूत करना बहुत ही जरूरी होता है। नौकरी में सफलता प्राप्ति के लिए सूर्य देव की उपासना और इनसे जुड़े उपाय करना बहुत ही फलदायी साबित होता है।
भूलकर भी शनिदेव को न करें नाराज
शनिदेव का नाम आते ही लोग काफी भयभीत हो जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि ग्रह का विशेष स्थान है। शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। यह व्यक्ति के जीवन में बहुत ही उलटफेर करते हैं। शनिदेव को न्याय और कर्मफलदाता माना गया है। शनि ग्रह जातक को राजा से रंक और रंक से राजा बनाने की शक्ति होती है। शनि को ज्योतिष शास्त्र में दुख, रोग, कष्ट, तकनीक, विज्ञान, सेवक और लोहा का कारक ग्रह माना जाता है। शनिदेव को दो राशियों का स्वामित्व प्राप्त है। मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह शनि होते हैं। यह मेष राशि में नीच के और तुला राशि में उच्च के होते हैं। जिन जातकों की कुंडली में शनि मजबूत होते हैं उनके जीवन में किसी भी तरह के सुख की कमी होती है। शनि अगर कुंडली में शुभ स्थिति में हैं तो जातकों को धनवान और सुखी बनाते है।