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50 करोड़ लोगों को मोदी का तोहफा, ये 5 राज्यों के लोग नहीं उठा सकेंगे लाभ

       

नई दिल्‍ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) – आयुष्मान भारत की शुरुआत की और इसे गरीबों की सेवा के लिए एक अभूतपूर्व कदम बताया। उन्होंने कहा, “पीएमजेएवाई-आयुष्मान भारत दुनिया में सबसे बड़ी सरकार प्रायोजित स्वास्थ्य योजना है। अगर आप अमरीका, कनाडा और मेक्सिको, इन तीनों देशों की आबादी को भी जोड़ दें, तो उनकी कुल संख्या इस योजना के लाभार्थियों की संख्या के करीब ही होगी।” मोदी ने कहा कि देश के 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को 5 लाख रुपए तक का स्वास्थ्य बीमा देने वाली यह दुनिया की सबसे बड़ी योजना है। कांग्रेस का स्पष्ट जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पिछली सरकारें गरीबों को सशक्त किए बगैर ‘वोट बैंक की राजनीति’ में शामिल रही थीं। उन्होंने कहा, “ये गरीबी हटाओ के नारे लगा रहे थे, लेकिन ये केवल गरीबों की आंखों में धूल झोंकने का एक प्रयास था। यदि योजनाओं को लागू किया गया होता, जैसा कि वादा किया गया था तो देश में गरीबों की हालत आज अच्छी होती।”

मोदी ने दावा किया कि पूर्ववर्ती सरकारों को यह एहसास नहीं था कि गरीबों का भी आत्मसम्मान और गरिमा है। उन्होंने कहा, “मैंने गरीबों के जीवन को देखा है और जिया है। इसलिए मैं उनके जीवन में आत्मसम्मान और गरिमा के महत्व को जानता हूं। मैंने उनके सपनों को पूरा करने और उनकी गरिमा को बनाए रखने के लिए अपनी तरफ से भरपूर प्रयास किए। यह भाजपा सरकार ही है जो गरीब लोगों सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है।” उन्होंने कहा, “सभी को आयुष्मान भारत का लाभ मिलेगा और यही ‘सबका साथ, सबका विकास है’।”

केंद्र और राज्य सरकारें उठाएंगी खर्चा: इस योजना पर होने वाले खर्च को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर उठाएंगी। पी.एम.जे.ए.वाई. पर आने वाले खर्च का 60 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करेगी और 40 प्रतिशत भार राज्य सरकारों पर पड़ेगा। मौजूदा वित्त वर्ष में इस योजना की वजह से केंद्र पर 3500 करोड़ का भार पडऩे का अनुमान है। 2018-19 के बजट में केंद्र इस मद में 2000 करोड़ रुपए की टोकन मनी उपलब्ध करा चुका है।

 

क्या है पात्रता का आधार
2011 की जनगणना में गरीब के तौर पर चिह्नित किए गए सभी लोगों को इसके लिए पात्र माना गया है। इसका मतलब यह भी है कि अगर कोई शख्स 2011 के बाद गरीब हुआ है, तो वह इसके फायदे से वंचित हो जाएगा।

 

आरोग्य मित्रों की होगी अहम भूमिका
नेशनल हेल्थ एजेंसी ने 14,000 आरोग्य मित्रों को अस्पतालों में तैनात किया है। इनके पास मरीजों की पहचान सत्यापित करने और उन्हें इलाज के दौरान मदद करने का काम होगा। लाभार्थियों के वेरिफिकेशन में इन आरोग्य मित्रों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इसके अलावा, किसी भी पूछताछ और समस्याओं के समाधान के लिए भी मरीज इन लोगों से संपर्क कर सकेंगे।

पंजाब समेत 5 राज्यों में नहीं होगी लागू
दिल्ली, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, तेलंगाना और पंजाब ने अभी इस योजना के लिए केंद्र के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर दस्तखत नहीं किए हैं।

2 लाख को मिलेगा रोजगार
एक मीडिया रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इस योजना के तहत 5 साल में दो लाख नौकरियां सृजित होंगी। ये नौकरियां अस्पताल, बीमा कंपनियों, कॉल सेंटर और रिसर्च क्षेत्र में निकलेंगी। सरकारी और निजी अस्पतालों में सीधे तौर पर एक लाख आयुष्मान मित्र तैनात किए जाएंगे।

पूरे देश में 2300 वेलनेस सेंटर
प्रधानमंत्री ने यहां पर 10 वेलनेस सेंटर्स का भी शुभारंभ किया। उन्होंने बताया कि अब झारखंड में करीब 40 ऐसे सेंटर्स काम कर रहे हैं और देशभर में इनकी संख्या 2300 तक पहुंच चुकी है। मोदी ने कहा कि अगले 4 वर्षों में देशभर में ऐसे डेढ़ लाख सेंटर तैयार करने का लक्ष्य है। उन्होंने राज्य के चाईबासा और कोडरमा में दो मेडिकल कॉलेजों की आधारशिला भी रखी।

योजना से जुड़े राज्य के व्यक्ति को दूसरे राज्यों में भी मिलेगा लाभ
कैंसर, दिल, गुर्दे, लिवर, मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज
पांच लाख तक के खर्च में अस्पताल में भर्ती होना, जांच, दवाई, भर्ती से पहले का खर्च और इलाज पूरा होने तक का खर्च शामिल
पहले से किसी बीमारी का भी खर्च इस योजना द्वारा उठाया जाएगा
सरकारी ही नहीं, बल्कि अनेक प्राइवेट अस्पतालों में भी होगा इलाज

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