भोपाल। आक्रामक तेवर के साथ मध्य प्रदेश में अब सवर्ण, पिछडा, अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले राजनीतिक दल सपाक्स समाज ने एंट्री ले ली है. एट्रोसिटी एक्ट में किए गए संशोधन के खिलाफ आंदोलन करते हुए सपाक्स समाज के इस इस अवतार ने मध्यप्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.
सत्तारूढ़ भाजपा जहां इस पूरे मामले में कटघरे में फंसी दिखाई दे रही है वहीं कांग्रेस इस नए राजनीतिक दल के कारण नए खतरे में फंसती दिखाई दे रही है. सिर्फ दो दलों के बीच चल रहा यह चुनाव अब सपाक्स समाज के इस नए आंदोलन की धार से बिखरता दिखाई दे रहा है.
संघ के कुछ लोग साथ
सपाक्स समाज संस्था के अध्यक्ष पूर्व आइएएस अधिकारी एवं पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त डा. हीरालाल त्रिवेदी ने दावा किया है कि सपाक्स समाज बीजेपी की बी टीम नहीं है. यह धारणा गलत फैलाई जा रही है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से करीबी रिश्तों पर उनका कहना है कि एट्रोसिटी एक्ट और आरक्षण जैसे मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और सपाक्स के विचार एक समान हैं. सपाक्स ने जो आंदोलन किया उस पर संघ ने अपनी सहमति जताई. संघ से जुड़े कुछ लोग सपाक्स के साथ हैं. लेकिन हमारे और उनके रास्ते अलग अलग हैं
सपाक्स को तोड़ने की कोशिश
डा. त्रिवेदी का आरोप है सपाक्स समाज ने जिस तरह अपनी ताकत दिखाकर अपनी मौजूदगी दर्ज करवी है उससे दोनों ही राजनीतिक दल हतप्रभ हैं. कांग्रेस आरोप लगा रही है कि हम बीजेपी को समर्थन कर रहे हैं और बीजेपी कह रही है कि हम कांग्रेस के साथ हैं. दोनों ही दल गलत हैं. वे पहले तो सपाक्स को बहुत हल्के में ले रहे थे. अब मामला हाथ से निकलता देखे वे सपाक्स को तोड़ने की कोशिश में हैं. लेकिन वे कामयाब नहीं होंगे.
एक झंडे एक चिन्ह पर चुनाव
सपाक्स के राजनीतिक भविष्य को लेकर उनका कहना है कि पूरी 230 सीटों पर हमारे उम्मीदवार मैदान में उतरेंगे. लेकिन इसकी चयन प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी होगी. डेढ़ सौ से ज्यादा समाजों का समर्थन सपाक्स समाज के साथ है. हमने उनसे प्रत्याशियों की सूची मांगी है. जो जीतने वाला उम्मीदवार होगा उसे हम टिकट देंगे. चुनाव चिन्ह को लेकर एक प्रक्रिया होती है. यह चुनाव के अंतिम दौर में तय हो जाएगा. इतना तो तय है कि एक झंडे और एक चिन्ह पर सपाक्स समाज के उम्मीदवार मैदान में होंगे.
फाइनेंस कौन कर रहा
इस सवाल पर कि सपाक्स समाज के आंदोलन और बड़े आयोजन को फाइनेंस कौन कर रहा है? डा. त्रिवेदी का कहना है कि हमारा कोई भी फाइनेंसर नहीं है. हम हर आयोजन में अपनी पेटी सामने रख देते हैं. उसमें जो सहयोग मिलता है उसमे काम चल जाता है. अब हम सदस्यता अभियान शुरू कर रहे हैं. ऑन लाइन भी सहयोग लेंगे.
बसपा गोगपा को झटका
मध्यप्रदेश में आरिक्षत वर्ग की 81 सीटें हैं जिन पर कांग्रेस, भाजपा, बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का वोट बैंक है. सपाक्स समाज इन सीटों पर अपने खास उम्मीदवारों को मैदान में उतारेगा. डा. त्रिवेदी का कहना है कि सपाक्स समाज ने इन सीटों पर काम करना शुरू कर दिया है. बसपा के साढ़े छह फीसदी वोट हैं और गोंडवाना पार्टी के डेढ़ फीसदी वोट 2013 के चुनाव में हासिल हुए हैं. उनका दावा है कि सपाक्स पहले ही चुनाव में कांग्रेस- भाजपा का बराबरी से मुकाबला करते हुए दिखाई देगी.
एट्रोसिटी मामले में प्रदेश अव्वल
सपाक्स समाज के राजनीतिक दल बनने के बाद उसकी पूरी कार्यकारिणी का भी गठन हुआ है. पार्टी के महासचिव जनसंपर्क विभाग के पूर्व डायरेक्टर सुरेश तिवारी बनाए गए हैं. तिवारी ने बताया कि पूरे प्रदेश में हमारा काम शुरू हो चुका है. हर जिले में सपाक्स समाज के पार्टी कार्यालय खोलने की तैयारी हो गई है. सपाक्स समाज आंदोलन से लोग अपने आप जुड़ रहे हैं. मध्यप्रदेश में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर खराब हालत है .यहां देश में सबसे ज्यादा 81 प्रतिशत प्रकरण दर्ज होते हैं. हम हर समाज के लिए बराबरी की लड़ाई लड रहे हैं. और अब चुनाव में इसका साफ असर दिखाई देगा.