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मुख्यमंत्री फडणवीस की मौजूदगी में तीन पूर्व NCP नेता भाजपा में शामिल हुए

       

वेब डेस्‍क। तीन पूर्व एनसीपी नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं।  इससे पहले मंगलवार को चार विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में शिवेंद्र राजे भोसले और संदीप नायक शामिल हैं। गिरीश महाजन ने दावा किया था कि कम से कम 50 कांग्रेस और राकांपा विधायक भाजपा के साथ संपर्क में हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में तीन पूर्व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए हैं। ये तीन नेता शिवेंद्र राजे भोसाले, संदीप नायक और चित्रा वाघ हैं।

इससे पहले मंगलवार को चार विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने वालों में शिवेंद्र राजे भोसले और संदीप नायक शामिल हैं। कांग्रेस विधायक कालिदास कोलम्बकर और राकांपा के शिवेंद्र भोसले, वैभव पिचद और संदीप नाइक ने दक्षिण मुंबई के राज्य विधान भवन में स्पीकर हरिभाऊ बागड़े को अपना त्याग पत्र सौंपा था।

कोलंबकर मुंबई से सात बार विधायक रहे हैं, जबकि भोसले ने महाराष्ट्र की सतारा विधानसभा सीट को 2014 में 47,813 वोटों से जीता था। इनके भाजपा में शामिल होने की पहले से ही अटकलें लगाई जा रही थीं।

कुछ दिनों पहले ही भाजपा के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव से पहले कम से कम 50 कांग्रेस और राकांपा विधायक भाजपा के साथ संपर्क में हैं।

उन्होंने कहा था कि कांग्रेस और एनसीपी के कुछ 50 विधायक भाजपा के संपर्क में हैं। एनसीपी की वरिष्ठ नेता चित्रा वाघ ने एक महीने पहले ही भाजपा में शामिल होने की इच्छा जताई थी, उन्होंने दावा किया था कि उनका अपनी मूल पार्टी में कोई भविष्य नहीं बचा है। विधायक अनुरोध कर रहे हैं कि वे विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होना चाहते है कांग्रेस घबराई हुई है और अगले कुछ हफ्तों में राकांपा कमजोर दिखेगी।

इसके जवाब में एनसीपी प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने भाजपा सरकार पर विपक्षी दलों के नेताओं को भगवा पार्टी में शामिल करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था।

पवार ने पुणे में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि भाजपा सरकार द्वारा पूरे देश में सत्ता का दुरुपयोग व्याप्त है। हमने हाल ही में देखा है कि कर्नाटक में क्या हुआ। वे मध्यप्रदेश में भी ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं। महाराष्ट्र जैसे चुनावी राज्यों में, वे राज्य एजेंसियों का उपयोग करके विपक्षी दलों के नेताओं को उनके साथ मिलाने का प्रयास कर रहे हैं। मैंने किसी भी सरकार द्वारा राज्य मशीनरी के इतने जबरदस्त इस्तेमाल को नहीं देखा है। केवल दो महीनों में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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