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14 Mar 2025, Fri

अष्टम मां महागौरी की अराधना से रोगों का नाश, दांपत्य सुख और दुर्घटनाओं से मिलती है सुरक्षा

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धर्म डेस्क। पौराणिक मान्याताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए गर्मी, सर्दी और बरसात का बिना परवाह किए कठोर तप किया था जिसके कारण उनका रंग काला हो गया था।

उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा। सफेद वस्त्र धारण किए हुए देवी श्वेत रंग के वृष पर सवार हैं।

शास्त्रनुसार, चतुर्भुजी देवी महागौरी अपनी ऊपरी दाईं भुजा में अभय मुद्रा से भक्तों को सुख प्रदान करती हैं, नीचे वाली दाईं भुजा में त्रिशूल से संसार पर अंकुश रखती है, ऊपरी बाईं भुजा में डमरू से सम्पूर्ण जगत का निर्वाहन करती हैं व नीचे वाली बाईं भुजा से देवी वरदान देती हैं।

महागौरी की अराधना से रोगों का नाश, दांपत्य सुखमय और दुर्घटनाओं से सुरक्षा मिलती है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार देवी महागौरी के अंश से कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुंभ-निशुंभ का अंत किया।

महागौरी ही महादेव की पत्नी शांभवी हैं। महागौरी के तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमय है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी महागौरी राहु ग्रह पर आधिपत्य रखती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।

मंत्र :

ॐ देवी महागौर्यै नमः॥

स्तुति :

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

स्त्रोत :

सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।

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डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम

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