भोपाल। “पदोन्नति में आरक्षण” प्रकरण में निर्धारित सुनवाई टालने हेतु सरकार द्वारा आज फिर प्रयास किया गया.। आज 23.अक्टूबर को सरकार की ओर से अधिवक्ता मनोज गोरकेला ने न्यायालय के सामने आवेदन कर प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाने का निवेदन किया. । जिसका सपाक्स के अधिवक्ताओं द्वारा जिसका विरोध किया गया। न्यायालय द्वारा सुनवाई की तारीख़ तत्काल बढ़ाने से मना करते हुए कहा गया कि आप निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सभी विरोधी पक्ष के अधिवक्ताओं को सूचना पहले दें। सपाक्स की ओर से मिली एक जानकारी के मुताबिक सरकार द्वारा हमेशा से यह कोशिश मात्र होती रही है कि किसी भी तरह प्रकरण की सुनवाई आगे बढ़ाई जावे. इसके पूर्व भी सरकार प्रकरण को बड़ी बेंच में भेजने पर न्यायालय को उलझाती रही है और अब जब इस पर ही कल सुनवाई की जाकर निर्णय होना है तब इसमें भी बाधा पहुँचाई जा रही है।
हालांकि अब कानून के जानकार मानते हैं कि प्रकरण में सरकार की अपील ख़ारिज होना तय है. क्योकि सरकार के पास कोई भी पुख़्ता तर्क नहीं है। सरकार विगत डेढ वर्ष से मात्र एक ही कार्य कर रही है कि सुनवाई न हो और इसके लिये एक वर्ग विशेष के हित में करोड़ों रुपये व्यय किये जा चुके हैं.
सपाक्स ने यह भी आरोप लगाया कि हज़ारों अधिकारी/ कर्मचारी बिना पदोन्नति पाए ही सेवानिवृत हो चुके हैं. सरकार एक वर्ग विशेष के कनिष्ठ व्यक्तियों को वरिष्ठ पदों का प्रभार देकर मान न्यायालय के निर्णय की खुली अवहेलना कर रही है. ऐसा कर सरकार एक वर्ग विशेष के कुछेक साधन सम्पन्न लोगों के हित ही देख पा रही है जबकि इसी वर्ग का बहुसंख्यक समाज कुपोषण, स्वास्थ्य, अशिक्षा और बेरोजगारी से जूझ रहा है.
सरकार की कोशिशों के बाद भी कल प्रकरण की सुनवाई होना निश्चित है लेकिन तब जब सरकार कल सुनवाई में अन्य कोई बहाना लेकर पलायन न करे।
सपाक्स ने अपील की है कि प्रदेश के हित में सरकार प्रकरण के निराकरण की पहल करे, न कि न्याय के मार्ग में बाधक होने की कोशिश