भोपाल। बिहार में भागलपुर के कबीरपुर स्थित दिगंबर जैन मंदिर के कमरे में जैन मुनि विप्रण सागर महाराज (36) का शव पंखे से लटका मिला है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंगलवार दोपहर से शाम तक जैन मुनि कमरे से बाहर नहीं आए थे। कमरे का सामने का दरवाजा भीतर से बंद था। विप्रण सागर महाराज मध्यप्रदेश के दमोह जिले के राजा समन्ना गांव के रहने वाले थे।
रोज की तरह जैन मुनि विप्रन सागर जी 10:30 बजे भोजन करने के बाद 12:30 बजे कमरा नंबर-तीन में साधना करने चले गए। शाम 4:30 से पांच बजे के बीच वे श्रद्धालुओं से मिलते थे, लेकिन मंगलवार शाम पांच बजे कमरा नहीं खोलने पर मंदिर के कर्मचारी धन सिंह और अरविंद जैन ने दरवाजा ठकठकाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं मिला। मंदिर के गार्ड को सूचना दी गई।
स्वेच्छा मृत्यु की बात लिखी:
मंदिर कर्मियों ने पीछे के दरवाजे से जाकर देखा तो घटना का पता चला। पुलिस ने जैन मुनि के कमरे से एक नोट बरामद किया है। इसमें स्वेच्छा मृत्यु की बात लिखी गई है। हालांकि, नोट में हस्ताक्षर नहीं हैं। विप्रण सागर महाराज गिरिडीह के समवेत शिखर से 6 माह पहले भागलपुर आए थे। पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।
जैन मंदिर के कमरा नंबर तीन में फंदे से लटके जैन मुनि विप्रण सागर महाराज के मृत शरीर के पास कागज में लिखा कथित सुसाइड नोट पुलिस ने बरामद किया है। पास ही एक कलम भी मिला। इस कथित सुसाइड नोट में जैन मुनि ने अपनी परेशानी बताई है। हालांकि जो सुसाइड नोट पुलिस को मिला है उसमें कही भी मुनी का नाम या हस्ताक्षर नहीं हैं।
क्या लिखा सुसाइड नोट में
सभी साधर्मी भाई-बहनों को भागलपुर समाज को मंगल आशीर्वाद। हमारे संघ को किसी भी प्रकार कि परेशानी नहीं होनी चाहिए। हमारे स्टाफ से पूछताछ नहीं करना है। कोई इन्क्वायरी भी नहीं की जाए। हमारे समाज को किसी भी प्रकार की परेशानी न होनी चाहिए। मगर हम अपने अाप से बहुत परेशान थे। हमें साधु होकर ये काम नहीं करना चाहिए। मगर हम गलत कर रहे हैं। अब समाज को स्वयं सब पता है। इसलिए धर्म और समाज की किसी भी प्रकार की कार्रवाई न तो पुलिस करेगी और नहीं समाज। पूरे भारत वर्ष में मेरे भक्त हैं। उनको मंगल आशीर्वाद। सबको क्षमा, सबसे क्षमा। मेरी स्वेच्छा मृत्यु ही है। संघ का ध्यान पूरे समय हमारे संघ पति और समाज जरूर रखें।
चातुर्मास करने आए थे भागलपुर:विप्रण सागर महाराज समवेत शिखर से पद यात्रा कर जून में भागलपुर पहुंचे थे। 18 साल पहले उन्होंने गृहस्थ जीवन त्याग कर दीक्षा ली थी। देशभर में पद विहार कर वे पहली बार भागलपुर पहुंचे थे। दिगंबर जैन सिद्धक्षेत्र के मंदिर सुनील जैन ने बताया कि चार महीने के चातुर्मास में मुनि विप्रण सागर महाराज यहां पधारे थे। चातुर्मास चल ही रहा था।
30 किलोमीटर की थी पदयात्रा: 7 नवम्बर तक चलने वाले चातुर्मास के बीच 14-23 सितम्बर तक दशलक्षण महापर्व में उनका प्रवचन भी हुआ था। दशलक्षण महापर्व के 9वें दिन जैन मुनि सुबह 5 बजे जैन मंदिर से मंदार पर्वत की पदयात्रा पर निकले और 30 किलोमीटर चल कर वे पुनसिया स्कूल पहुंचे थे। भजन-कीर्तन करते हुए वे बौंसी भी गए। फिर वे लौटे थे। जैन मुनि के अचानक देवलोक गमन से जैन समाज दु:खी है। आज जैन समाज की दुकानें बंद रहेंगी।