जबलपुर।जिंदगी में अच्छाई की राह से भटककर जुर्म की दुनिया में कदम रखने वाले फिर से जिंदगी को एक नया मोड़ देना चाहते हैं। नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल में सजा काट रहे महिला और पुरुष बंदी यहां से छूटने के बाद टूरिस्ट गाइड बनकर दूसरों को राह दिखाने की तैयारी में हैं। यह संभव होगा सेंट्रल जेल में शुरू हुए टूरिज्म कोर्स से।
बंदियों के रुझान को देखते हुए इस वर्ष से नेताजी सुभाषचंद्र बोस केन्द्रीय कारागार में टूरिज्म विषय शुरू किया गया है। इसके पहले बैच में 21 बंदियों ने एडमिशन लिया है। उनकी परीक्षा होने के बाद अब एडमिशन लेने वालों का ग्रॉफ तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, भोजन और उसकी उपयोगिता एक अन्य विषय में भी बंदियों का रुझान दिख रहा है।
पहले बैच में 21 बंदी, इनमें 6 महिलाएं
टूरिज्म कोर्स की जानकारी होने के बाद इसमें 21 बंदियों ने एडमिशन लिया। जिसमें 6 महिलाएं हैं। इसकी परीक्षा 22 और 23 दिसंबर को हुई। इसकी जानकारी अन्य बंदियों को हुई तो वे भी इस विषय में एडमिशन लेने के लिए फार्म भरने आगे आए हैं।
6 महीने का होता है कोर्स
यह कोर्स 6 महीने का होता है। इसमें पढ़ाई के दौरान यह जानकारी दी जाती है कि किस शहर में कितने स्पॉट घूमने लायक हैं। वहां पहुंचने के कौन-कौन से रास्ते हैं। वहां के लिए वाहन कहां से आसानी से मिलेगा। रुकने के स्थान कितने हैं और उसमें उचित दाम के होटल कहां मिलेंगे। वहीं, दूसरे विषय में टूरिस्ट के साथ कैसा व्यवहार करें। टूरिस्ट को कैसे वह सभी जानकारी और सुविधा उपलब्ध कराएं, जिसे वह मांगता है आदि के बारे में बताया जाता है। इसी के आधार पर परीक्षा भी ली जाती है।
भोजन और उसकी उपयोगिता का कोर्स भी शुरू
भोजन की उपयोगिता पर आधारित एक नया कोर्स भी जेल में शुरू किया गया है। इसमें बच्चे, व्यक्ति, गर्भवती महिलाएं को क्या खाना चाहिए और कितना खाना चाहिए, इस भोजन की उपयोगिता क्या है, इसके फायदे क्या हैं के बारे में जानकारी दी जाती है। कुछ समय पहले ही शुरू हुए इस कोर्स में 24 बंदियों ने एडमिशन लिया है। इनमें 15 महिलाएं हैं।
टूरिज्म और भोजन की उपयोगिता पर नया कोर्स शुरू किया गया है। इसमें बंदियों का रुझान ज्यादा है। इन विषयों में एडमिशन लेने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनिल कुमार सिंह परिहार, जेल अधीक्षक