घर में खुशियां लेकर आई मासूम के दिल में सुराग, कलेक्टर की पहल से सरकारी खर्च पर मुंबई में होगा आपरेशन

जबलपुर, आशीष शुक्ला। घर में खुशियां लेकर आई लाडली के बारे में जब पता चला कि वह जन्मजात हृदय की गंभीर बीमारी से पीड़ित है तो पूरा परिवार सदमे में आ गया।
स्वजन ने हृदय रोग विशेषज्ञ से परामर्श लिया तो पता चला कि जबलपुर में उपचार संभव नहीं है* महानगरों के निजी अस्पताल में उपचार कराने के लिए लाखों रुपये खर्च की बात सुनकर स्वजन की परेशानी और बढ़ गई।
जनसुनवाई हुए बेटी परी को लेकर परिवार वाले पहुंचे परी की हालत देखते हुए कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुरारिया को फोन कर तत्काल मदद करने का निर्देश दिया स्वास्थ्य अधिकारी डा कुररिया ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत 24 घंटे के भीतर प्रकरण स्वीकृत कर स्वास्थ्य विभाग ने लाडली को उपचार के लिए एसआरसीसी चिल्ड्रन हॉस्पिटल मुंबई भेजा।
जिसके बाद ऑपरेशन के लिए वहीं के नारायणा हृदयालय में रेफर किया गया। बच्ची के उपचार व ऑपरेशन में होने वाले पूरा खर्च की भरपाई सरकार द्वारा की जाएगी* पूरी कार्यवाही में डीईआइएम सुभाष शुक्ला की महत्वपूर्ण भूमिका रही है
यह है मामला
जबलपुर शहर निवासी लक्ष्मी पति विजेंद्र सिंह ने 29 नवंबर को एक अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था। जन्म के बाद से ही माता-पिता व अन्य स्वजन उसे परी नाम से पुकारने लगे। लाडली के जन्म से खुशियां छा गईं और बुजुर्गों ने कहा कि उनके घर में लक्ष्मी का आगमन हुआ है। जन्म के बाद पता चला कि परी जन्मजात हृदय रोग (दिल में सुराग) से पीड़ित है।
यह जानकारी होने पर पूरा परिवार सदमे में चला गया। उनकी खुशियों पर वज्रपात हो गया। शहर के कुछ अस्पतालों में परामर्श लेने के बाद विजेंद्र को पता चला कि परी का उपचार जबलपुर में संभव नहीं है और महानगर के अस्पतालों में उपचार कराने पर लाखों रुपये का खर्च संभावित है।
परी के उपचार को लेकर परेशान विजेंद्र जनसुनवाई में कलेक्टर श्री कर्मवीर शर्मा से मिले उन्होंने बिटिया की हालत देखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के पास भेजा परी के पिता डीईआइएम सुभाष शुक्ला से मुलाकात कर परी की सेहत की जानकारी दी।
उन्होंने विजेंद्र की मुलाकात मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रत्नेश कुरारिया से कराई। डॉ. कुरारिया ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए 24 घंटे के भीतर परी को उपचार के लिए मुंबई भेजने का निर्देश दिया। डीईआइएम शुक्ला ने आनन-फानन में प्रकरण तैयार कर वित्तीय स्वीकृति प्राप्त करते हुए परी को मुंबई के लिए रवाना किया, जहां उसका उपचार जारी है। और बहुत जल्दी संस्कारधानी वापस आ जावेगीपरी के पिता विजेंद्र और माता लक्ष्मी ने कलेक्टर सीएमओ के प्रति आभार व्यक्त किया।