लोग डाउन पेमेंट (Down Payment) का इधर-उधर से जुगाड़ कर लेते हैं. लेकिन क्या लोन (Loan) लेकर घर खरीदना सही फैसला होता है? क्या लोन लेकर घर-फ्लैट खरीदना फायदे का सौदा नहीं है? और लोन लेकर घर खरीदने से बेहतर होगा कि आप किराये पर रहें. फाइनेंसियली तौर पर आप खुद आंकलन कर सकते हैं कि आपके लिए क्या फायदेमंद रहने वाला है.
दरअसल जॉब लगते ही अधिकतर लोग सबसे पहले घर खरीदने का फैसला करते हैं. भारत में घर खरीदने के फैसले को इमोशन से भी जोड़कर देखा जाता है. आज के दौर में घर-फ्लैट खरीदना थोड़ा आसान है. क्योंकि घर की कुल कीमत का बड़ा हिस्सा बैंक से लोन में मिल जाता है. लोग डाउन पेमेंट (Down Payment) का इधर-उधर से जुगाड़ कर लेते हैं. लेकिन क्या लोन (Loan) लेकर घर खरीदना सही फैसला होता है?
हमारे देश में अधिकतर लोग 2BHK फ्लैट खरीदते हैं, खासकर मेट्रो शहरों में ऐसा ही ट्रेंड है. 2BHK फ्लैट की कीमत करीब 40 लाख रुपये मान लेते हैं. जिसमें अक्सर खरीदार 15 फीसदी तक अमाउंट डाउन पेमेंट (Downpayment) करते हैं, यानी 5 से 6 लाख रुपये डाउन पेमेंट के तौर पर देते हैं. इसके बाद Stamp Duty, Registration Charges और ब्रोकरेज अलग से लगता है.
यही नहीं, नया घर खरीदने पर अक्सर नए फर्नीचर और डेकोरेशन के सामान भी खरीदते हैं, जिसपर एक अनुमान के मुताबिक 4 लाख रुपये तक खर्च कर देते हैं. डाउन पेमेंट और इस खर्च को जोड़ दें तो लोग गृह-प्रवेश से पहले 10 लाख रुपये तक अलग खर्च हो जाते हैं.
आमतौर पर जब लोग लोन लेकर घर खरीदते हैं तो वो EMI में बंधकर रह जाते हैं. लेकिन घर खरीदना एक बड़ा फैसला होता है, और इसमें इमोशन जुड़ा होता है. आइए एक उदाहरण से समझते हैं कि घर खरीदना बेहतर सौदा होगा या किराये पर रहना.