इंदौर। जो पत्नी खुद अपना भरण-पोषण करने में सक्षम है उसे पति से भरण-पोषण पाने का अधिकार नहीं होता। कुटुम्ब न्यायालय ने इस आदेश के साथ पत्नी की तरफ से प्रस्तुत आवेदन खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि पत्नी एक स्कूल में शिक्षिका है और अपने भरण-पोषण लायक राशि कमा रही है।
कालानी नगर निवासी अशोक तिवारी और उनकी पत्नी भावना के बीच कुटुम्ब न्यायालय में तलाक का केस चल रहा है। भावना ने इस केस में एक आवेदन देकर पति से 25 हजार रुपए प्रतिमाह भरण-पोषण के रूप में दिलाए जाने की गुहार लगाई थी। अशोक तिवारी की तरफ से एडवोकेट अमरसिंह राठौर ने कोर्ट को बताया कि भावना एक निजी स्कूल में शिक्षिका है और 16 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रही है। इसके अलावा उसने बगैर तलाक लिए ही किसी दूसरे पुरुष से शादी भी कर ली है। वह उसके साथ पत्नी के रूप में रह रही है।
इसके सबूत के तौर पर एडवोकेट राठौर ने भावना की बहन की शादी की पत्रिका, वीडियो और फोटोग्राफ भी प्रस्तुत किए। इसमें उसने अवधेश सांखला नामक व्यक्ति को अपना पति बताया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पत्नी भावना की तरफ से प्रस्तुत भरण-पोषण का आवेदन खारिज कर दिया। एडवोकेट राठौर ने बताया कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ द्वारा किए गए बदलाव के प्रकाश में अब पति अशोक द्वारा पत्नी के खिलाफ धारा 497 के तहत कार्रवाई भी की जा रही है।