रांची। Pulwama Terror Attack यह भावुक क्षण था बालीवुड अभिनेता Vivek Oberoi ओबेरॉय के लिए। वे शुक्रवार को पुलवामा में शहीद शहीद रतन ठाकुर के बीमार नवजात को देखने के लिए झारखंड की राजधानी रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल आए थे। नवजात की कोमल उंगलियों को Vivek Oberoi ने जैसे ही स्पर्श किया, नवजात ने झट से उनकी भी उंगली पकड़ ली और अपनी आंखें खोल मुस्कराया। जैसे, नवजात Vivek Oberoi विवेक ओबेरॉय को बहुत पहले से जानता हो।
इस आत्मीयता को देख वहां खड़े परिजनों के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। यही नहीं, विवेक ने नवजात का नामकरण भी किया। नाम रखा-वीर रामरतन ठाकुर। बच्चे के दादा राम निरंजन ठाकुर ने बताया कि बच्चा राम नवमी के समय जन्म लिया था। इसलिए बच्चे का नाम भगवान राम और अपने वीर शहीद पिता के नाम को जोड़ते हुए रखा गया। विवेक ओबेरॉय ने बच्चे की मां और दादा को वचन दिया कि बच्चे की देखभाल वे खुद करेंगे। हालांकि कई ऐसे क्षण आए, जब विवेक और दादा की आंखें नम हो गई।
बच्चे का हाल जानने के बाद मीडिया से मुखातिब विवेक ओबेरॉय ने बताया कि अखबार में छपी खबर से बच्चे के बारे में पता चला। इसके बाद से लगातार अस्पताल प्रबंधन और शहीद रतन ठाकुर के परिजनों से फोन कर बच्चे के स्वास्थ्य की जानकारी ले रहे थे। अस्पताल पहुंचते ही उन्हें खुशखबरी मिली कि बच्चा पहले से काफी स्वस्थ है। चार-पांच दिनों में स्थिति में और सुधार हो जाएगा, इसके बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। उन्होंने बताया कि रतन ठाकुर के शहीद होने के बाद पूरे परिवार के लिए दुख की घड़ी थी। जिस शहीद ने हमारे लिए इतना कुछ किया, पूरे देश की रक्षा के लिए अपनी शहादत दी, उस शहीद के परिवार के लिए कुछ करने की चाह थी।
यह बच्चा पूरे देश का : विवेक ने बच्चे के दादा राम निरंजन ठाकुर से कहा कि यह बच्चा हमारे परिवार का बच्चा है। यह पूरे देश का बच्चा है। ऐसे बहुत कम ही लोग होते हैं, जो अपने बेटे के शहीद होने के बाद भी पोते को सेना में भेजने का साहस और जज्बा दिखाते हैं। शहीद रतन ठाकुर के पिता ने पहले भी अपने पोते को फौज की वर्दी पहनाने की बात कही थी।
सीआरपीएफ को दी बधाई : विवेक ओबेरॉय ने सीआरपीएफ को बधाई देते हुए कहा कि अस्पताल में भर्ती कराने से लेकर उसके अबतक के इलाज का खर्च सीआरपीएफ ने उठाया है। वह बधाई का पात्र है। अस्पताल प्रबंधन भी इस बच्चे के इलाज में पूरा सहयोग कर रहा है। विवेक ने कहा कि वीर जवानों के शहीद होने के बाद उनके परिवार की मदद के लिए लोग बढ़-चढ़ कर सामने आते हैं, ऐसे लोगों से प्रेरणा लेने की जरूरत है।