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13 Mar 2025, Thu

आचार्य ज्ञानसागर सभागार में श्रवण मुनि श्री समता सागर जी महाराज के 41वें दीक्षा दिवस की भव्यता से मनाई गई

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कटनी/आचार्य ज्ञानसागर सभागार में संतशिरोमणी आचार्य विद्यासागर जी के परम प्रभावक निर्यापक श्रवण मुनि श्री समता सागर जी महाराज का 41 वॉ दीक्षा दिवस बड़ी धूमधाम एवं श्रद्धा भक्ति के साथ मनाया। समारोह के प्रारंभ में दीप प्रज्जवलन बाहर से पधारे श्रद्धालुओं द्वारा करने के पश्चात् पूजन के अर्द्य, संगीतमय वातावरण में समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों एवं सदस्यों के साथ बाहर से आये श्रद्धालुओं के साथ नृत्य करते हुये चढ़ाने के पश्चात् मुनि संघ को श्रीफल चढ़ाकर एवं शास्त्र भेंटकर आर्शीवाद लिया इस अवसर पर श्रीमति मेद्या जैन द्वारा रचित भजन पर दो बालिकाओं द्वारा आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसे उपस्थित जन समूह ने सराहा गुरू छाया बालिका मण्डल द्वारा भी आकर्षक नृत्य प्रस्तुत करने के पश्चात् स्वयंभूसार चेतन चंदोदय एवं आवश्यकी पुस्तिका का विमोचन ब्रम्हचारी जिनेश भैया, राकेश भैया अनूप भैया, अजय भैया, धीरज भैया के साथ जैन समाज पंचायत समिति एवं चर्तुमास धर्मप्रभावना समिति के पदाधिकारियों एवं सदस्यों द्वारा किया गया। इस अवसर पर ऐलक श्री निश्चय सागर जी महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुये बतलाया कि आज से 41 वर्ष पूर्व 1983 में ईसरी में आचार्य श्री जी द्वारा मुनि समता सागर जी महाराज से दीक्षा प्रदान की थी जिससे हमें कभी हदृय लेखक,मृदुभाषी वात्सल्य की मूर्ति समता सागर जी महाराज का सानिध्य मिला, परमपूज्य मुनि श्री महासागर जी महाराज ने अपनी मंगल देशना ने बतलाया कि बुंदेलखण्ड में जो आज सम्पन्नता दिख रही है वह हमारे गुरू आचार्य

श्री की देन है। मुनि श्री ने आगे बतलाया कि जिस स्थान पर तीर्थकर का जन्म होता है वह की वंसुधरा हरि भरी धन-धन्य से परिपूर्ण होती है। आचार्य श्री जी ने बुदेलखण्ड को अपनी तपस्थली एवं साधना स्थल बनाकर अपने आत्म कल्याण के साथ हम सबको भी आत्म कल्याण के मार्ग में लगाया है और निर्यापक मुनि समता सागर जैसे महातपस्वी को हमारे संघ का संघपति बनाया जिससे हमारा मुनि संघ अपनी मनिचर्या का निर्वाह करते हुये र्निविध्न रूप से विचरण कर रहा है। कार्यक्रम का संचालन सह-मंत्री दीपू जैन द्वारा किया गया।

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम