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14 Mar 2025, Fri

अस्पतालों में अलग से बनेगी नवजात शिशु चिकित्सा यूनिट

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भोपाल। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में बने नवजात शिशु गहन चिकित्सा ईकाई (एसएनसीयू) में बच्चों का दबाव कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नई योजना बनाई है। अब ऐसे बच्चों के लिए एक नई यूनिट बनााई जाएगी जिन्हें इलाज की जरूरत नहीं है, पर डॉक्टरों की निगरानी में रखना जरूरी है। हर जिला अस्पताल में 10 बच्चों को भर्ती करने के लिहाज से यूनिट बनाई जा रही हैं। जहां नवजात अपनी मां के साथ रह सकेंगे। फिलहाल 10 जिला अस्पतालों में यह सुविधा शुरू की जानी है। इसमें भोपाल भी शामिल है। इंदौर के पीसी सेठी अस्पताल में यह व्यवस्था करीब छह महीने में शुरू हो जाएगी।

यहां माताएं अपने बच्चे के साथ उनके पूरी तरह से स्वस्थ रहने तक रह सकेंगी। यूनिट में सिर्फ एक केयर टेकर (काउंसलर) रहेंगी। वह मां को स्तनपान व घर में बच्चे की स्वास्थ्य देखभाल के संबंध में परामर्श देगी। बच्चे को संक्रमण न हो, इसलिए मां के हाथ धोने और कपड़े बदलने की व्यवस्था भी रहेगी।

जिला अस्पतालों में बने एसएनसीयू, पीडियाट्रिक इंसेटिव केयर यूनिट (पीआईसीयू), आईसीयू सभी को एकीकृत किया जाएगा। इस एकीकृत यूनिट की निगरानी एसएनसीयू में पूरे समय मौजूदा रहने वाले डॉक्टर करेंगे। यूनिट के बाहर इमरजेंसी में आने वाले बच्चों को देखने के लिए पूरे समय एक मेडिकल ऑफीसर की पदस्थापना की जाएगी।

इसलिए पड़ी जरूरत

जिला अस्पतालों में बने एसएनसीयू में 20 बच्चों को एक साथ भर्ती करने की सुविधा है, लेकिन कई जगह इससे ज्यादा बच्चे हो जाते हैं। ऐसे में एक वार्मर या फोटोथैरेपी मशीन पर दो-दो बच्चों को रखना पड़ता है। मेडिकल कॉलेजों के एसएनसीयू के और बुरे हाल हैं। रेफरल ज्यादा होने की वजह से एक वार्मर पर तीन-तीन बच्चों को रखा जाता है। ऐसे में एक से दूसरे का संक्रमण का खतरा रहता है। यह दबाव कम करने के लिए एसएनसीयू से जुड़ी एक नई यूनिट बनाई जा रही है।

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एक जगह बड़ी स्क्रीन से होगी सभी बच्चों की निगरानी

इंटीग्रेटेड (एकीकृत) यूनिट में बच्चों की निगरानी सेंट्रल मानीटरिंग सिस्टम से की जाएगी। एनएनसीयू या फिर डॉक्टर के केबिन में एक बड़ी स्क्रीन लगाई जाएगी। इस स्क्रीन में हर बच्चे की पल्स, बीपी, ऑक्सीजन का स्तर आदि डिस्प्ले होगा। इससे डॉक्टर यह जान सकेंगे किसी बच्चे की हालत क्या है। तबीयत बिगड़ने पर फौरन इलाज शुरू किया जा सकेगा। अभी सिर्फ कुछ बड़े निजी अस्पतालों में ही यह व्यवस्था है।

यह होगा फायदा

– एसएनसीयू में एक वार्मर पर एक से ज्यादा बच्चे नहीं रहेंगे, जिससे एक से दूसरे को इंफेक्शन नहीं होगा।

– नई यूनिट में बच्चे के साथ मां भी रहेगी। इससे बच्चे की अच्छे से देखभाल व स्तनपान हो सकेगा।

– यहां पर मां को साथ रुकने के अलावा भोजन भी अस्पताल की तरफ से दिया जाएगा, जिससे परिजन अपनी मर्जी से छुट्टी करा घर नहीं जाएंगे। जच्चा-बच्चा दोनों की सही देखभाल हो सकेगी।

-एसएनसीयू में नहीं होने के बाद भी एसएनसीयू के डॉक्टर इस यूनिट में बच्चे की निगरानी करेंगे।

इनका कहना है

पहले चरण में 10 जिला अस्पतालों में इंटीग्रेटेड यूनिट तैयार करने की योजना है। इसकी शुरुआत इंदौर के पीसी सेठी अस्पताल से होगी। इस व्यवस्था से बच्चों की निगरानी बेहतर तरीके से हो सकेगी। एसएनसीयू का लोड भी कम हो सकेगा।

डॉ. मनीष सिंह डिप्टी डायरेक्टर, एनएचएम

 

By Ashutosh shukla

30 वर्षों से निरन्तर सकारात्मक पत्रकारिता, संपादक यशभारत डॉट काम

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